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भोजपुरी कहानिया

"खिचड़ी"

खिचड़ी
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बारह बज गईल। पंडि जी अबे ले ना अईले। लईका त लईका, अब सयान के भी भूख नईखे रोकात। ऊपर से दही के महक मुह में पानी लिया देता।
सरजू के घरे सदियों से परम्परा चलत आवता। पहिले पंडिजी खा लेनी तबे केहु मुह जुठारेला।
"पंडि जी त आज धोखा दे दिहनि। लगता केहु अउर किहा चल गईनी।"
"अईसन नईखे हो सकत। जरूर कवनो जरूरी काम आ गईल होइ। तू तनी सबुर रख" सरजू अपना मलिकाइन समझाव तारे।
"अब केतना सबुर राखी जी? सब प्राणी भूखे टेटीयातानी जा।" उ रिस से कह्तारी।
ओने रिंकिया के इन्तजार बाकी कब पंडि निपटस अउरी उ सुमन भाभी से सखी बने। पीडिया में उ सोभवा से सखी बनल रहे पर अब दुनू में झगड़ा बा। सोभावा जाके इंदु फुआ में सखी बनतिया। ओकरा के देखावे खातिर उ सुमन भाभी जे कि केहु के सामने ना होली, उनका से सखी बनी। इ कवनो छोट बात नईखे।
ओने पिंटुआ गुली डंडा खेले जाए खातिर बेचैन बा पर खलिहा पेट खेल कईसे होई, जब भूखे पेट भजन भी ना हो पावेला।
सरजू के छोट भाई बिरजू अपना साइकिल के पोछ रहल बाड़े। आजु खरवास उतर गईल बा अउरी अब काल्ह से उनकर अगुआई जोर शोर से चालू हो जाई।
उनकर बड़ बेटा भोलू भी सबेरे से कई बार आपन बार सेट चुकल बाड़े। भोरे ही सुगवा के सैलून से सलमान कट कटवा के अईले ह। तैयारी त क के रखही के पड़ी। का पता तिलकहरू आजूवो आ जा सन। एक साल से तिलकहरू आहुण कुटले बाड़ सन पर घर के लोग के तरफ से ना रहल ह। गोधना कुटाईला बाद सरजू ग्रीन सिग्नल देले ह अउरी अब लोग के कुंडली दियाता। खरवास के वजह से भले तिलकहरू लोग ना आयिल ह पर उ रोज न्यूज़पेपर देखत रहले ह।
समाचार खातिर ना बल्कि मोटर साइकिल के मॉडल देखे खातिर। अब उ फैशन प्रो पसंद क लेले बाडे अउरी अगर कही शादी तय होता त एडवांस पईसा से सबसे पाहिले मोटर साइकिल खरीदायी। गांव के चिरकुट से चिरकुट लईका कुल मोटर साइकिल से चलतार सन अउरी उ बेचारा टूटही साइकिल से।
उनहू के पंडिजी के इन्तजार बा। पंडि जी निपट जास त आज जाके एजेंसी पर मोटर साइकिल पसंद क आईब।
सरजू अंदर- बाहर कईले बाड़े। कुछु बुझात नईखे की का करस।
"पंडि जी के मोबाइल लगाई का ?" पिंटुआ पूछता।
सरजू खुश हो जातारे। इ आईडिया पहिले काहे ना दिहल सिह।
" लगाव। "
पिंटुआ फ़ोन लगा के देता। मोबाइल बाजता पर पंडि जी उठावत नईखन। आखिर दर्जनो बार फ़ोन कईला के बाद उ मोबाइल पिंटुआ के दे देतारे।
भोलू अर्थपूर्ण नजर से बड़का बाबूजी के देख तारे की अगर आजु घर में मोटरसाइकिल रहित त पंडीजी के जाके टांग लियायिति। सरजू मने मन संतोष देतारे अगिला साल दुआर पर मोटर साइकिल जरूर रही।
तभी देवा के मोटर साइकिल के आवाज सुनाई देता। पंडीजी ओहि पर बईठल लऊक तारे।
"ऐजी पंडि जजमान बदल देहनी का ?" हउ देखि ना" सरजू के मलिकायीन चिहा के कह्तारी.
"ओह त इ बात रहल ह ?" सरजू कपार ध के कहतार "अब दूसर पंडीजी के इंतजाम अतना जल्दी कहा से होइ।
तले देवा मोटर साइकिल उनका दुआर पर आके रोक देतारे अउरी पंडि जी कूद पड़तारे।
"हरी ओम, हरी ओम " केहु के कुछ कहे पहले पंडिजी बोल पड़तारे " का करी जजमान, साइकिल ही पनचरिया गईल ह। उ त निमन भईल ह कि देवा मिल गईले ह नात अउरी विलम्ब भईल रहित।"
पंडजी के बात से सब केहु राहत के सास लेता बढ़के पवलगी करता।
"पर रउवा मोबाइल काहे ना उठावत रहनी ह ?' सरजू तनी खीशिया पूछतारे।
पंडीजी आपन मोबाइल झोरा से निकालतारे।
"ओह 25 गो मिस कॉल।" पंडि जी दांत निपोरत कहतारे "इ त सालेंइटिया गईल रहल ह। आज जतरे ख़राब रहल ह। बड़ा विलम्ब भईल। अच्छा से दही चिउरा लियाई सभी। खिचड़ी में लेट होता।"
"बाबू तनी २१ रुपया के रिचार्ज करवा द जले हम खातानी. अभी कई जगह जाए के बा।" पंडीजी आपन मोबाइल पिटुआ के देदेतानी और खाए में भीड़ जातानी।
सरजू मुस्किया के रही जातारे। जमाना बदलता। अब पंडी जी लोग दक्षिणा में मोबाइल भी रिचार्ज करवा लेता। डिजिटल अउरी कैशलेश इंडिया के जमाना बा।
सगरी लोग के खिचड़ी के अनघा बधाई बा हमरा ओर से ---------
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