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भोजपुरी कहानिया

"रेलवे वाले के यहाँ रिश्तेदारी किस्मत वाले की होती है।"

रेलवे वाले के यहाँ रिश्तेदारी किस्मत वाले की होती है।
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आज गोधन बाबा की कुटाई के साथ ही शादी तय करने की प्रक्रिया चालू हो जायेगी। पहले के ज़माने में लड़के की तलाश से लेके रिश्ता और दिन बार तय करने की प्रक्रिया गोधन के बाद ही शुरू होती थी हालांकि अब ऐसा नहीं है। योग्य लड़के की तलाश साल भर चलती है और अगर सब बातो पे सहमति बन जाए तो दिन बार गोधन के बाद तय होता है। बहुत लोगो को लगता है की शादी के लिए सिर्फ लड़की वाले ही परेशान रहते है और सारा माथापच्ची उनको करना पड़ता है जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है। अब मास्टर राम प्यारे जी को ही देख लीजिये। लड़के के शादी के लिए तिललकहरु लोगो ने उनका जीना हराम कर दिया है। तिलकहरू तो सब लड़को के आते है पर विरले ही किसी के यहाँ इतने तिलकहरू आते है और आये भी क्यों न भला। अब सब लड़के तो iit नहीं जाते है। जिला में शायद एक्का दुक्का ही लड़को का चयन iit में होता है और राम प्यारे जी भी उन भाग्यशाली लोगो में से है जिनके लड़के ने ये गौरव प्राप्त किया है। राम प्यारे जी का भाग्य देखिये की iit जाने के बाद जहा अधिकतर लड़के शादी में अपनी पसंद या शर्त थोपते है, उनके लड़के ने ये सारा विशेषाधिकार उनको ही सौप रखा है। काली, गोरी, लुल्हि लंगड़ी, अमिर - गरीब, रामपयारे जी कुछ भी पसंद करे उसके लिए, उसे मंजूर है।
पिछले एक साल से लगभग प्रत्येक दिन दो चार तिलकहरू उनके दरवाजे पर दस्तक देकर ही जाते है। मास्टराइन ने भी अल्टीमेटम दे दिया है अब और इन्तजार नहीं करेंगी बहु के लिए। गोधन कुटाने के फ़ौरन बाद शादी तय हो जाना चाहिए।
तिलकहरू के भारी भरकम लिस्ट से रामप्यारे जी ने चार पांच लड़की वालो को शार्ट लिस्ट किया है। अब उनमे से किसे रिश्तेदार बनाया जाय उसके लिए उनके घर मित्र मंडली बैठी है। रामप्यारे जी और उनकी पत्नी के क्राइटेरिया के हिसाब इन लोगो को लडकिया भी फिट बैठ रही है और लक्ष्मी के साथ लक्ष्मी देने में तो उन लोगो का कोई जबाब ही नहीं है। कोई ब्लेंक चेक देने को तैयार है तो कोई दस बीस बीघा जमीं की रजिस्ट्री को। कुल मिला के ये तो तय है की रामप्यारे जी दहेज़ लेने का , राज्य का नहीं तो कम से कम जिले का तो पुराना रिकॉर्ड तोड़ ही देंगे।
अब चर्चा शुरू होती है बैंक वाले से। एक बड़े बैंक के आला अधिकारी की एकलौती लड़की भी इस लिस्ट में है।
"भाई मुझे तो बैंक वाले के यहाँ शादी करने का कोई फायदा नजर नहीं आता। " राम प्यारे जी मित्र वर्मा जी कहते है "रिश्तेदारी तो उसके यहाँ होनी चाहिए जिससे सिर्फ लड़के का बल्कि गांव समाज का भी भला हो। अब बैंक वाले के यहाँ शादी करने से ज्यादा से ज्यादा क्या फायदा होगा। बैंक में अकाउंट खुल जाएगा। वो तो मोदी साहब वैसे भी खुलवा रहे है और कौन सा लड़के को लोन लेना है। उसका तो ऐसे ही करोड़ो में पैकेज है। "
सब लोग वर्मा जी की बात सहमति जताते है।
लिस्ट में अगला नाम है सरकारी अधिकारी के बेटी का।
"अमा यार मुझे तो सरकारी कर्मचारी के यहाँ शादी का कोई तुक नजर नहीं आता।" राधेश्याम जी फरमाते है "कौन गोपाल को ठेकेदारी करनी है जो बिल पास करवाने सरकारी दफ्तर जाना पड़ेगा। वैसे भी सरकारी कर्मचारी घूस के मामले में किसी के रिश्तेदार नहीं होते है। "
लिस्ट से इनका भी नाम रिजेक्ट हो जाता है। फिर अगला नंबर डॉक्टर साहब का है। डॉ साहब से गांव जवार का भी कुछ भला हो सकता है पर समस्या ये है की डॉ साहब बहुत दूर कार्यरत है अब इलाज के लिए उतनि दूर कौन जाएगा।
अब लिस्ट में दो ही लोग रह जाते है , एक कोई बड़े पुलिस अधिकारी और दूसरे जनाब है रेलवे के कोई आला अधिकारी। अब इन्ही लोगो के बीच से फाइनल करना है। पर पुलिस वाले का नाम भी रिजेक्ट हो जाता है क्योकि राम प्यारे जी का स्पष्ट मत है की नातो पुलिस की दुश्मनी अच्छी नातो दोस्ती। फिर उसे कैसे रिश्तेदार बनाये। अब ले देके बच जाते है रेलवे अधिकारी।
"मेरे समझ से तो रिस्तेदारी रेलवे वाले के यहाँ ही करना चाहिए। " राम प्यारे जी के एक और मित्र सुदामा जी कहते है "जितने फायदे रेलवे के रिश्तेदार को है उतने तो शायद pm साहब के रिस्तेदार को भी नहीं होंगे। रिश्तेदार ही क्यों , गांव जवार के लोगो भी खूब फायदा उठाते है। "
"वो कैसे ?" राम प्यारे जी अपना चश्मा उतारते हुवे पूछते है।
"अरे भाई tt साहब को भूल गए क्या !" सुदामा जी चेहरे से आभा बिखरते हुवे कहते है।
बाकी लोग tt साहब को याद करने की कोशिश करते है।
"अरे वही नन्हकू," सुदामा जी रहस्मय मुस्कान से कहते है "अपने बिहिया वाले ठाकुर साहब। कौन नहीं है अपने जिला में जिसने उनके नाम पर wt (बिना टिकट )रेल यात्रा न की हो। बनारस से लेके गोरखपुर रूट पर सिर्फ उनका नाम ही काफी था। एक बार नाम ले लिए तो दूसरा tt कभी मुड़ के भी नहीं पूछता था की आप कहा जायेंगे या कौन है। अगर आपने आगे बढ़के ये भी बता दिया की आप उनके गांव के है या उनके भाई -भतीजा है तो बाकायदे पूरे सफर ,चाय समोसा का मुफ्त में इंतजाम भी होता था। कुम्भ नहाने से लेके, बाबा विश्वनाथ को जल चढाने के लिए कभी किसी ने अपने इलाके से टिकट लिया क्या ?"
सब लोग सहमति से सर हिलाते है। वर्मा जी को कुछ याद आ जाता है।
"ये बात तो है। मै ही एक बार मजिस्ट्रेट चेकिंग में पकड़ा गया था। अचानक मुझे tt साहब की याद आई और मैंने डरते डरते उनका नाम लिया। फिर तो चमत्कार ही हो गया। मजिस्ट्रेट ने मुझे रिहा ही नहीं किया बल्कि अपनी गाडी से घर तक भिजवाया।
"इसके अलावा ऐसे रिश्तेदार का क्या फायदा ?" राधेश्याम जी पूछते है।
"ऐसे रिश्तेदार के फायदे ही फायदे है। " सुदामा जी कहते है " अब आपही देख लो , हफ्ते में अपने गांव या रिश्तेदारी का कोई न कोई दिल्ली , मुंबई नौकरी के लिए जाते ही रहता है। ऊपर से आरक्षित टिकट का हाल ये है की आप को भगवान से मिलने के लिए उतना मेहनत नहीं करना पड़े जितना की एक कन्फर्म सीट के लिए। "
"वो कैसे ?"
"अरे भाई इधर आपने सल्फाश की गोली खायी और उधर भगवान से मुलाकात पर कन्फर्म टिकट पाने का नुस्खा तो वैद्य लुक़मान के पास भी नहीं है। त्योहारो के सीजन में अपने भाई बंधू ट्रैन से लटक लटक कर आते जाते है। अब आप बताओ की टिकट मिलता किसको है या वेटिंग का टिकट किसका कन्फर्म होता है ?"
"किसका " राम प्यारे जी कौतूहल से पूछते है।
"रेलवे कर्मचारी के रिश्तेदार का। बड़े बड़े नेता और मंत्री का टिकट कन्फर्म नहीं होता है पर अगर आप रेल कर्मचारी है या उसके रिस्तेदार फिर आपके लिए क्या गर्मी क्या सर्दी। हर मौसम में कही भी आने जाने का टिकट पक्का। अब इतने बड़े अधिकारी के यहाँ रिश्तेदारी होती है तो गांव के चिंटुआ से लेके पिटुआ तक ac में जाए पर किसी की क्या मजाल जो टिकट मांगे। गांव की औरते कुम्भ से नहा के आएगी तो सिर्फ उनके जुबान पर रामप्यारे का नाम होगा और वो सारा पुण्य तुमको ही तो मिलेगा। "
अब इसके आगे बहस की गुंजायीश नहीं है। सब लोग एकमत है और अब शादी यही होगी।
मास्टराइन सबको लड्डू खिलाते हुवे कहती है "मै तो पहले से ही कह रही थी की शादी रेलवे वाले के यहाँ ही होगी। रेलवे वाले के यहाँ रिश्तेदारी किस्मत वाले की होती है।


धनंजय तिवारी
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