Janta Ki Awaz
लेख

गरम मिजाज के बेनी बाबू ने जब अपने गुरु के पोते को भरी भीड़ से बेइज्जत कर भगाया, पर काम कर भी कर दिया – प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

गरम मिजाज के बेनी बाबू ने जब अपने गुरु के पोते को भरी भीड़ से बेइज्जत कर भगाया, पर काम कर भी कर दिया – प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
X

लंबी बीमारी के बाद मौत और जिंदगी से हॉस्पिटल में जूझते हुए समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता रहे राज्य सभा सदस्य बेनी प्रसाद वर्मा का 27 मार्च को देहावसान हो गया है । आज दोपहर बाद उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। उनका जन्म 11 फरवरी, 1941 को लखनऊ से सटे हुए जिले बाराबंकी में हुआ था। अपनी अंतिम यात्रा के पूर्व 11 फरवरी 2020 को उन्होने अपना अंतिम जन्मदिन भी मनाया। स्वास्थ्य अधिक खराब होने के कारण उनके शरीर में इतनी ताकत नहीं थी कि वे ऐसे किसी समारोह में शिरकत करें। लेकिन जैसे उन्हें अपनी इस जीवन यात्रा का आभास हो गया था । इस कारण अशक्त होने के बावजूद केवल उन्होने अपना जन्मदिन ही नहीं मनाया, बल्कि जन्मदिन के समारोह में सभी से मिले, सभी की शुभकामनायें स्वीकारी और आशीर्वाद भी दिया ।

बेनी प्रसाद वर्मा अपने जिले के समाजवादी चिंतक वे नेता स्व. सेवक को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। उनके ही आशीर्वाद से उन्हें 1974 में दरियाबाद विधानसभा से टिकट मिला, वे जीते और विधायक बने। इसके बाद तत्कालीन परिस्थितियों के अनुरूप उन्होने सामंतवादी ताकतों से संघर्ष किया। इस कारण उनकी ख्याति सिर्फ बाराबंकी तक ही नहीं सीमित रही, बल्कि वे कुर्मी समाज के सबसे बड़े नेताओं में शुमार होने लगे। समाजवादी पार्टी की स्थापना में उन्होने तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के साथ मिल कर सक्रिय भूमिका निभाई । वे नेताजी के काफी करीबी माने जाते रहे। बाराबंकी में तो समाजवादी पार्टी की राजनीति उनके ही इशारे पर होती रही। अभी हाल में हुए विधानसभा उपचुनाव में भी गौरव रावत को टिकट दिलाने और जिताने में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही । एक बार उनका सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से मन-मुटाव हुआ, तो उन्होने उनका साथ छोड़ कर नई पार्टी का गठन किया। जल्द ही उन्हे एहसास हो गया कि अकेले पार्टी का संचालन करना टेढ़ी खीर है। कांग्रेस में गए। केंद्रीय मंत्री बने। लेकिन चाहे प्रदेश सरकार में रहे हों, या केंद्रीय सरका में मंत्री रहे हों, अपने करीबियों के हमेशा मददगार बने रहे ।

हालांकि अपने अंतिम दिन तक वे समाजवादी पार्टी के कोटे से राज्य सभा सदस्य रहे। लेकिन वे गरम मिजाज के नेता रहे। कभी किसी की गलत बात बर्दाश्त नहीं किया। जिसे जो कहना रहता था, मुंह पर ही कह देते थे। यहाँ तक कि कभी-कभी तो बहुत बुरी तरह डांट कर भगा दिया करते थे। लेकिन अगर वश में होता था, कोई कानूनी और वैधानिक अड़चन नहीं होती थी, तो काम भी कर देते थे।

बहुत बड़े नेता होने के बावजूद वे सार्वजनिक मंचों से इस बात का ऐलान करते रहे कि उनके राजनीतिक गुरु स्व राम सेवक यादव ही रहे हैं। उन्हें ही देख और समझ कर उन्होने राजनीति का ककहरा सीखा है । एक बार की बात है। वे उस समय दूर संचार मंत्री थे। उनके राजनीतिक गुरु के पोते हिमांशु अपने रौजा गाँव के मामा के स्कूल की मान्यता के लिए उनके घर पर गए। उन्होने अपने स्कूल की मान्यता के लिए उनसे निवेदन किया। उन्होने साफ-साफ कहा कि हिमांशु इस समय प्रदेश में मेरी सरकार तो है नहीं। इसके बाद कागज पढ़ते हुए ही आग बबूला हो गए। और भरी भीड़ में ही अपने राजनीतिक गुरु के पोते हिमांशु को डांटना शुरू कर दिया। यही नहीं, उन्हे और उनके मामा को बुरी तरह लताड़ते हुए भगा भी दिया। दोनों लोग लज्जित होते होकर वहाँ से चले आए। उनके मामा ने कहा कि लगता है, अब मान्यता वाला काम नहीं होगा। लेकिन इतनी लताड़ सुनने के बाद भी स्व राम सेवक के पोते हिमांशु यादव को इस बात का विश्वास था कि बाबूजी काम जरूर करें। और हिमांशु यादव ने आज टेलिफोनिक चर्चा के दौरान बताया कि दस दिन भी नहीं बीता कि उनके मामा के स्कूल की मान्यता हो गई।

यह एक वाकया है। ऐसे अनगिनत वाकये हुए हैं। जिसे-जिसे स्व बेनी बाबू ने सार्वजनिक रूप से डांटा। न जाने कहाँ से गलत काम लेकर चले आते हैं, अगर थोड़ी भी गुंजाइश रही, तो उनका काम जरूर करवा दिया। हिमांशु यादव ने चर्चा के दौरान यह भी कहा कि वे जब भी बाराबंकी आते, मुझे ही नहीं, जिले के तमाम करीबी नेताओं को अपने घर पर बुलाते, चाय पिलाते, और हाल-चाल पूछ कर उन्हें चलता कर देते । हिमांशु यादव ने यह भी कहा कि स्व बेनी प्रसाद वर्मा ने उनकी राजनीतिक मदद कभी नहीं की। जबकि कई बार उन्होने उनसे विधान परिषद से लेकर विधान सभा तक के टिकट के लिए उनसे निवेदन किया। साथ ही उन्होने यह भी स्वीकार किया कि शायद उस समय वे मुझे उस योग्य नहीं समझते रहे ।

प्रोफेसर डॉ योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

Next Story
Share it