Janta Ki Awaz
लेख

'शिव की महान रात' महाशिवरात्रि

शिव की महान रात महाशिवरात्रि
X

महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव के उत्साही भक्त पूरे दिन का उपवास करते हैं, फल, दूध, दही और पानी लेते हैं. कुछ शिव भक्‍त महाशिवरात्रि पर निर्जला व्रत रखते हैं. हालांकि बुजुर्ग लोगों, बीमार या गर्भवती महिलाओं को उपवास न करने की सलाह दी जाती है.

वहीं, उपवास के नियम हर परिवार में अलग-अलग होते हैं, आमतौर पर लोग व्रत के दौरान दाल और अनाज का सेवन नहीं करते है. इसकी जगह वह आलू, साबुदाना और कृट्टू का आटा खाना पसंद करते हैं. व्रत में आप बिना प्याज़, लहसुन और अदरक के साधारण आलू की सब्जी बनाकर कुट्टू की पूरी के साथ खा सकते हैं. करी के अलावा आप सब्जियों का इस्तेमाल कई तरह से करके भिन्न-भिन्न प्रकार की चीज़े बना सकते हैं- जैसे लौकी का हलवा, आलू का हलवा, कददू का पैनकेक. इसके अलावा आलू की टिक्की, आलू पकौड़ा, कच्चे केले के वड़े और सिंघाडे के आटे के पकौड़े जैसे कुछ दिलचस्प स्नैक आइडियाज़ आप इस बार शिवरात्रि के मौके पर ट्राई कर सकते हैं.

महाशिवरात्रि के दिन भक्त शिवलिंग को दूध, दही, शहद, घी और चंदन से स्नान कराते हैं साथ ही ओम नम: शिवाय का जाप करते हैं. इसके अलावा शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ाएं जाते हैं. माना जाता है कि भगवान शिव को दूध काफी पसंद था, कहा जाता है कि वह गर्म स्वभाव के थे तो दूध उन्हें ठंडा रखता था.

साल में कई शिवरात्रि आती हैं, लेकिन फाल्गुन महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि इनमें सबसे महत्वपूर्ण होती है, जिसे महाशिवरात्रि कहा जाता है. चतुर्दशी तिथि भगवान शंकर की तिथि मानी जाती है. चतुर्दशी को ही शिवरात्रि मनाई जाती है. शिवरात्रि हिन्दुओं के शुभ त्योहारों में से एक है. यह पर्व भगवान शिव के सम्मान में मनाया जाता है, हिन्दू कैलेंडर के अनुसार महाशविरात्रि फाल्गुन या माघ की 13वीं रात या 14वें दिन पर पड़ती है.

साल 2020 में महाशिवरात्रि शुक्रवार, 21 फरवरी मनाई जा रही है. हर महीने की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव की तिथि माना जाता है. यही चतुर्दशी तिथि जब फाल्‍गुन में पड़ती है तो इसे महाशिवरात्रि माना जाता है. कहा जा रहा है क‍ि 21 फरवरी की शाम को 5:20 पर त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी और चतुर्दशी तिथि शुरू होगी.

अगर शाब्‍द‍िक अर्थ की बात की जाए तो महाशिवरात्रि का मतलब है 'शिव की महान रात'. शिवरात्रि के इस पर्व के साथ कई कहानियां भी जुड़ी हुई हैं, कुछ लोगों का कहना है कि इस दिन भगवान शिव ने देवता और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन प्रकरण के दौरान निकले विष को पी लिया था, जबकि कुछ का कहना है कि इस दिन शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. वहीं कुछ प्राचीन धर्म ग्रंथ यह कहते हैं कि इस दिन भगवान शिव ने ताडंव का प्रदर्शन किया था. इसलिए उनके भक्त उन्हें याद करते हैं, माना जाता है कि भगवान बुराई का नाश करते हैं और सच्चे भक्तों की पुकार सुनते हैं.

Next Story
Share it