Janta Ki Awaz
लेख

उठिए! आपका देश जल रहा है...

उठिए! आपका देश जल रहा है...
X

भारत को पाकिस्तान बनाने का स्वप्न देखने वाले सारे लड़ाके सड़कों पर उतर आए हैं। याकूब मेनन जैसे आतंकियों की फाँसी का विरोध करने वाले, उसे मसीहा बताने वाले, जिन्ना को आदर्श मानने वाले आतंकी सड़कों पर आग लगा रहे हैं।

यदि आपको लगता है कि सड़कों पर आग लगाती, पत्थर चलाती आतंकी भीड़ CAA के विरोध में उतरी है, तो बहुत मासूम हैं आप। यह भीड़ देश को चुनौती दे रही है कि "देखो! हम इस देश को जला देंगे, और तुम कुछ नहीं कर पाओगे।"

हम सभी जानते हैं कि CAA से किसी भारतीय को कोई नुकसान नहीं है। देश के पच्चीस करोड़ कथित अल्पसंख्यकों को न कोई हटा रहा है, न ही हटा सकता है। इनकी नागरिकता पर कोई खतरा न था, न है, न होगा। फिर भी ये देश को जला रहे हैं, क्योंकि इनका लक्ष्य ही है भारत को जला देना...

CAA केवल और केवल 2014 के पूर्व भारत आये शरणार्थियों को नागरिकता देने की बात करता है, किसी की नागरिकता छिनने का कोई प्रश्न ही नहीं है। फिर भी देश के कुछ बुद्धिजीवी यदि जानबूझ कर देश के अल्पसंख्यकों को भड़का रहे हैं और उन्हें आग लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, तो समझिए कि षड्यंत्र कितना बड़ा है।

बस जलाए जा रहे हैं, पुलिस पर पेट्रोल बम चलाये जा रहे हैं, रेलगाड़ियां तोड़ी जा रही हैं, थाने में आग लगाई जा रही है, पुलिसवालों को मारा जा रहा है, और देश के गद्दार बुद्धिभोजी इसका समर्थन कर रहे हैं।

चार दिन पूर्व तक गिरती हुई अर्थव्यवस्था का रोना रोने वाले पिछले सप्ताह भर में हुए करोड़ों करोड़ के नुकसान पर चुप हैं। पुलिस में दस उदण्ड और उपद्रवी लड़कों को पीट दिया तो इनकी छाती से दूध उतर आया है, पर सैकड़ों पुलिसवालों को जख्मी कर दिया गया उसका नाम तक नहीं लिया जा रहा।

याद रहे, स्वरा भाष्कर और रामचन्द गुह जैसों का न कोई देश होता है न कोई धर्म। कल यदि देश जलने लगे तो ये सबसे पहले निकल भागेंगे। 1947 की आग में लगभग एक करोड़ लोग मरे थे, पर उनमें एक भी चर्चित बड़ा आदमी नहीं मरा था। सब हम जैसे आम लोग ही मरे थे।

आज भी इन उपद्रवियों के आतंक में उनकी आँखें नहीं फूट रहीं, उनकी गाड़ियां जाम में नहीं फँस रहीं, एम्बुलेंस में फँसे उनके घर के मरीज नहीं मर रहे, हमारे-आपके लोग परेशान हो रहे हैं।

आज समय देश के साथ खड़े होने का है। आज समय अपनी सरकार के साथ खड़े होने का है। उठिए... बोल सकते हैं तो बोलिये, लिख सकते हैं तो लिखिये, कह सकते हैं तो कहिये... यह देश गिनती के बीस हजार बुद्धिभोजियों का ही नहीं है, हम एक अरब आम लोगों का भी है।

हम CAA के समर्थन में हैं, क्योंकि हम देश और संविधान के समर्थन में हैं।

सर्वेश तिवारी श्रीमुख

गोपालगंज, बिहार।

Next Story
Share it