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इस जादुई कुंड का रहस्य जानने में वैज्ञानिक भी हुए फ़ैल, आपदा आने से पहले करता हैं भविष्यवाणी

इस जादुई कुंड का रहस्य जानने में वैज्ञानिक भी हुए फ़ैल, आपदा आने से पहले करता हैं भविष्यवाणी
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हिन्दू धर्म का इतिहास सभी धर्मों की तुलना में सबसे बड़ा और पुराना हैं. इसके अन्दर बताई गई प्राचीन गाथाओं के सबूत आज भी दिखाई देते हैं. फिर चाहे वो समुद्र में मिला रामायण के ज़माने का पत्थरों से बना पूल हो या फिर श्रीलंका में दिखाई दिए हनुमान जी के विशाल पैरो के निशान हो. प्राचीन गाथाओं से जुड़े कई स्थल भारत में जगह जगह पर्यटक स्थल के रूप में फेमस हैं. लेकिन आज हम आपको इन गाथाओं से जुड़ी एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जो काफी रहस्यमयी हैं. इसका रहस्य या फिर कहे चमत्कार इतना अद्भुत हैं कि खुद वैज्ञानिक भी इसकी गुत्थी आज तक नहीं सुलझा सके हैं.

दरअसल मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक ऐसा रहस्यमयी कुंड हैं जो कोई भी बड़ी प्राकृतिक आपदा आने पर संकेत देकर लोगो को अलर्ट कर देता हैं. इतना ही नहीं इस कुंड की गहराई इतनी ज्यादा हैं कि इसे आज तक कोई भी माप नहीं सका हैं. तो चलिए विस्तार से जानते हैं आखिर क्या हैं इस जादुई कुंड का रहस्य

दरअसल इस जादुई कुंड का जिक्र हमारी पुराणों में 'नीलकुंड' के नाम से किया गया हैं. बात असल में महाभारत काल की हैं. इस दौरान पाँचों पांडवों और द्रोपती का बुंदेलखंड से गहरा रिश्ता हुआ करता था. अपने अज्ञातवास के दौरान कुछ समय उन लोगो ने इस क्षेत्र में भी व्यतीत किया था. इसी जगह का प्रमाण मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से 80 किलोमीटर दूर घने जगंलो के बीच बासना कस्बे के पास बने भीम कुंड के रूप में देखने को मिलता हैं.

भीम की गदा से बना हैं ये कुंड

दुर्लभ वनस्पतियों और पेड़ो से घिरे इस भीम कुंड के बारे में एक कहानी बहुत प्रचलित हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि अपने अज्ञातवास के दौरान एक बार द्रोपती को बहुत जोर की प्यास लगी थी. उस दौरान उनकी प्यास बुझाने के लिए आसपास कोई भी नदी या तालाब नहीं था. ऐसे में भीम ने अपनी गदा से जमीन पर बहुत तेज़ प्रहार किया. भीम के इस वार से जमीन में बहुत गहरा गड्डा हो गया और पानी की एक धारा बाहार फूट गई. इस पानी से द्रोपती ने अपनी प्यास बुझाई थी. बस तभी से ये जगह भीम कुंड के नाम से फेमस हो गई.

आपदा से पहले करता हैं अलर्ट

इस कुंड की ख़ास बात ये हैं कि यह एशियाई महाद्वीप में आने वाली किसी भी प्राकृतिक आपदा की सुचना पहले ही दे देता हैं. जब भी इस क्षेत्र में विपदा आने वाली होती हैं तो इस कुंड का जल स्तर अपने आप ही बढ़ने लगता हैं. उदाहरण के लिए नोएडा और गुजरात में आए भूकंप के पहले इस कुंड का जल स्तर खुद-ब-खुद बढ़ गया था. जब सुनामी आई थी तो उसके पहले इस कुंड का जल स्तर 15 फूट तक बढ़ गया था. इस तारह भौगोलिक घटना से सम्बंधित आपदा की सुचना ये कुंड पहले से करने में सक्षम हैं.

कोई नहीं माप सका कुंड की गहराई

आपको जान आश्चर्य होगा कि इस कुंड की सही गहराई को आजतक कोई भी माप नहीं सका हैं. इस कुंड की रिसर्च करने डिस्कवरी चैनल की एक टीम भी आई थी. इन लोगो ने कुंड की गहराई मापनी चाही थी. लेकिन जब ये लोग कुंड में उतरे तो कई दूरी तक गहराई में जाने के बाद भी इन्हें जमीन का तल नहीं दिखाई दिया. अंत में टीम हार मान वापस लौट गई.

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