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त्रिदेवों में से महादेव को क्यों बताया गया है मुख्य : प्रेम शंकर मिश्र

त्रिदेवों में से महादेव को क्यों बताया गया है मुख्य : प्रेम शंकर मिश्र
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भगवान शिव महादेव को देवों के देव कहा गया है, इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। वहीं तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से जाना जाता है। शिव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वेदों में शिव को रुद्र कहते है। शिव व्यक्ति की चेतना के सूत्रधार कहे जाते हैं। शिव की पत्नी पार्वती है जो शक्ति का रूप कही जाती है। कार्तिकेय और गणेश शिव के दो पुत्र हैं और अशोक सुंदरी इनकी बेटी हैं। शिव को ज्यादातर योगी के रूप में दिखाया जाता है। हालाकि उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश उनका निवास स्थान है। शैव मत के आधार पर शिव के साथ शक्ति सर्व पूजित है। जहां एक ओर भगवान शिव को भोलेनाथ कहते हैं और उन्हें जग रक्षक कहा जाता है। वहीं वे संहार के देवता भी माने जाते हैं। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात है। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया आदि के स्रोत है। उनका काल और महाकाल स्वरूप ही ज्योतिषशास्त्र के आधार है। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए है।

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