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सुचिता के नाम पर मोदी जी को गाली देने वाले स्वयं सुचिता भूल रहे हैं

सुचिता के नाम पर मोदी जी को गाली देने वाले स्वयं सुचिता भूल रहे हैं
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नरेंद्र मोदी जी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गाँधी को 'भ्रष्टाचारी' कह दिया, इसके लिए वे खूब गालियाँ सुन रहे हैं। इसमें सबसे मजेदार यह है कि सुचिता के नाम पर मोदी जी को गाली देने वाले स्वयं सुचिता भूल रहे हैं। फिर भी, मुझे लगता है मोदी जी के लिए यह बहुत अच्छी बात है।

यह वह देश है जहाँ एक राष्ट्रीय पार्टी की नेत्री सरेआम कहती रहीं हैं, "तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार!" अपनी कुल राजनैतिक पारी उन्होंने समाज के एक बड़े वर्ग को सरेआम गाली देते हुए ही खेली है। उनसे कोई नहीं पूछता कि एक इतने बड़े वर्ग को जूता मारने वाली आप कौन हैं?

इसी देश की दूसरी बड़ी पार्टी के नेता और उनके लाखों कार्यकर्ता "भुराबाल साफ करो" का नारा लगाते रहे हैं। उनसे कोई नहीं पूछता कि भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और लाला को "साफ" करने की धमकी देना कौन सी राजनीति है। प्रधानमंत्री को "रे" कहना हो या राष्ट्रपति स्वर्गीय कलाम का अपमान करना हो, उन्होंने कोई अभद्रता छोड़ी नहीं है। उनसे कभी सुचिता का प्रश्न नहीं पूछा गया।

देश की वामपंथी पार्टियां पचास वर्षों से सभी ब्राह्मणों-राजपूतों को शोषक कहती फिर रही हैं। उनकी परिभाषा के अनुसार 17000 की नौकरी करने वाला यह सर्वेश तिवारी शोषक है, और दिल्ली के पूर्व सांसद उदित राज दलित। किसी ने आज तक यह नहीं पूछा कि ऐसी मूर्खतापूर्ण और अनैतिक परिभाषा गढ़ने वाले तुम हो कौन?

देश के सबसे बड़े राजनैतिक घराने की राजकुमारी अमेठी में छोटे छोटे स्कूली बच्चों से प्रधानमंत्री के लिए नारा लगवाती हैं, "चौकीदार चोर है" उनसे कोई नहीं पूछता कि संवैधानिक प्रक्रिया के द्वारा चयनित इस देश के प्रधानमंत्री को गाली देने का अधिकार तुम्हे किसने दिया।

स्वयं मोदी जी को ही अबतक हत्यारा, मौत का सौदागर, खून का दलाल और जाने क्या क्या कहा गया है। कांग्रेस के प्रधानमंत्री उम्मीदवार पिछले छह महीने से "चौकीदार चोर है" का कलमा पढ़ रहे हैं। उनसे भी कोई नहीं पूछता कि इतनी अभद्रता के बाद भी तुम स्वयं को प्रधानमंत्री पद के योग्य कैसे समझ रहे हो?

भारतीय राजनीति के ऐसे अभद्र कालखण्ड में प्रधानमंत्री श्री मोदी से लोगों की सुचिता की उम्मीद बताती है कि देश को अब केवल उन्हीं से उम्मीद है। श्री मोदी के समर्थक ही नहीं विरोधियों को भी अन केवल उन्हीं से अच्छे की आस है। श्री मोदी के लिए इससे बड़ी बात कोई हो नहीं सकती।

नरेंद्र मोदी जी की अभद्रता का समर्थन मैं भी नहीं कर सकता। उन्हें भी यह समझना होगा कि वे देश की अंतिम उम्मीद हैं। उन्हें याद रखना होगा कि वे अटल-आडवाणी की पार्टी के नेता हैं, उन्हें अपनी भाषा पर संयम रखना ही होगा। कम से कम नरेंद्र मोदी से ऐसी अभद्रता स्वीकार्य नहीं है।

सर्वेश तिवारी श्रीमुख

गोपालगंज, बिहार।

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