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गाँधी एवं शास्त्री जी का वास्तविक सम्मान उनके स्वप्नों को मूर्त रूप दिये बिना नहीं हो सकता..: सुमित यादव

गाँधी एवं शास्त्री जी का वास्तविक सम्मान उनके स्वप्नों को मूर्त रूप दिये बिना नहीं हो सकता..: सुमित यादव
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माला... आज औपचारिक आइटम बन गयी है। बस 2 अक्टूबर को चढ़ाओ और गाँधी और शास्त्री जी से कह दो की अरे आप टैंसन ना ले कार्य प्रगति पर है।

महात्मा गाँधी और शास्त्री जी हर भारतीय के लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व है। कोई भी भारतीय, देश के स्वाधीनता आंदोलन मे उनके योगदान को नही भूल सकता। महात्मा गाँधी को गुजरे आज 70 साल हो गये अगर उनके एक सपने को पूरा करने की एक पंचवर्षीय योजना तय कर दी जाती तो आज देश से असमानता,छुआछूत,गरीबी,स्वच्छता(*),महिलाओं की अशक्तता, ग्रामीण दुर्वलता, कृषि दुर्वलता समाप्त हो चुकी होती।

यहां स्वच्छता पर इसलिये क्योंकि कुछ लोग "स्वच्छ भारत अभियान" के आंकड़े (90% स्वच्छता) पर सवाल उठा कर मेरे ऊपर चढ़ बैठ सकते है और मुझे देश द्रोही की संज्ञा तक दी जा सकती है. परन्तु उनसे मैं माफी चाहूंगा क्योंकि मेरा स्वच्छता का पैमाना Cm,Pm हाउस या ताजमहल से नहीं बल्कि रेलवे स्टेशन शौचालय, ट्रेन के टायलेट, और मेरे दरवाजे की सड़क से शुरू होता है जहां यदि स्वतः प्रयास न हो तो गाय माता का प्रसाद हफ्तों के लिये बिल्कुल मूर्ति टाइप स्थापित हो जाता है।

कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि हम गाँधी और शास्त्री को यदि सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहते है तो उनके सपनो को पूरा करना होगा जिसमें न केवल सरकार बल्कि आमजन को भी बराबर की भूमिका निभानी होगी।

सुमित यादव

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