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समलैंगिकता अप्राकृतिक है, एक ही पैर का चप्पल है.

समलैंगिकता अप्राकृतिक है,  एक ही पैर का चप्पल है.
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विपरीत ध्रुवों में आकर्षण एवं समान ध्रुवों में प्रतिकर्षण, विज्ञान अपनी किताबों में दर्ज करके बैठा है.. वैसे आपने विज्ञान के इस सिद्धांत की पुष्टि चुम्बक पर अवश्य किया होगा। वैसे मैं विपरीत की बात तो नहीं करूंगा लेकिन जब आप चुम्बक के समान ध्रुव को आपस में मिलाते हैं तो चुम्बको में कुछ विचित्र प्रतिकर्षण होता है। दोनों चुम्बक आपस में कुछ ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे आप किसी बछड़े को उंचे स्थान नीचे उतारना चाह रहे हों और बछड़ा अपनी पूरी ताकत अपने खुरों में झोंककर तनकर खड़ा हो.. और एक इंच भी न सरके.

दरअसल दो विपरीत ध्रुवों को आपस में मिलाते हैं तो वे दोनों एक प्राकृतिक खांचे में फिट हो जाते हैं या बैठ जाते हैं। आप अपने दोनों हथेलियों के अंगुलियों को आपस में मिलाकर देखें! बिल्कुल आपस में मिलकर अभेद्य अर्द्ध वृत बन जाता है.. दो विपरीत ध्रुवों का आपस में मचल और उछल के मिलना कोई बड़ी बात नहीं.. चाहें वो नट बोल्ट हो या गरारी...या किसी भी इंजन के चकरियों का आपस में मिलना.. दरअसल पूरी सृष्टि ही इसी खांचे में फिट होने के बाद गतिमान है।

लेकिन विपरीत ध्रुवों का आपस में मिलना असंगत है, कुसमायोजित है.. जैस एक पैर में दो जूते का मिलना... एन्टी क्लाक का क्लाक से मिलना..... इसमें बराबर विरोध की स्थिति बनी रहती है.

उपरोक्त के बावजूद प्रकृति नियंत्रण करती है वो समस्या के समाधान हेतु रास्ता उपलब्ध कराती है भले वो अप्राकृतिक हो।

जीवविज्ञान के विद्यार्थी लायसोसोम से अवश्य परिचित होंगे.. लायसोसोम कोशिकाओं द्वारा उत्सर्जित हानिकारक रसायन और मृत कोशिकाओं का भक्षण करता है जिससे शरीर में हानिकारक तत्व का प्रवेश न हो.....शरीर या समाज में हानिकारक तत्वों का प्रवेश घातक है इसलिए प्रकृति ने यह व्यवस्था बनाई है कि जो भी कुछ हानिकारक होगा उसका उपचार होगा जिससे कि उसका प्रभाव शरीर या समाज पर न जाये।

जब कोई व्यक्ति बीमारी या भूख हड़ताल की अवस्था में भोजन त्याग देता है तो जीवन रक्षा हेत शरीर की मजबूत कोशिकाएं दूसरे कोशिकाओं का भक्षण करने लगती हैं जिससे उस बीमार या आन्दोलनरत व्यक्ति का वजन तो गिरता है लेकिन मृत्यु नहीं होती..

समलैंगिकता अप्राकृतिक है। एक ही पैर का चप्पल है...बाबजूद इसके, प्रकृति ने इनके पूरे शरीर को लाइसोसोम की तरह विकसित किया है कि तुम हानिकारक रसायन और मृत कोशिकाओं को भक्षण करो हो सके तो उन्हें पुनर्जीवित करके उन्हें दुनिया में पुनः लाओ जिसस वो विपरीत ध्रुव की ताकत और सौन्दर्य को समझ सकें॥

रिवेश

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