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लोहिया की धारा के जनपक्षधर व्यक्तित्व: रमाशंकर कौशिक

लोहिया की धारा के जनपक्षधर व्यक्तित्व: रमाशंकर कौशिक
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सामयिक परिस्थितियों में जब देश की मौजूदा राजनीति में नेताओं की विश्वसनीयता लगातार प्रभावित हो रही है।ऐसे में जमीनी और जनहित के मुद्दों पर बात करने वाले लोहिया की विचारपरम्परा के नायकों को जानना और समझना सामयिक जरूरत है।जिससे जहाँ एक ओर इन नायकों के जीवनवृत्त से अन्याय का विरोध करने की प्रेरणा अर्जित हो सके वहीं दूसरी ओर जनता के साथ कदमताल करने का सबक भी मिल सके।ऐसे अनगिनत नायक समाजवादी आन्दोलन में भरे पड़े हैं जिनमें रमाशंकर कौशिक अग्रगण्य हैं। 2 अप्रैल 1931 को जन्म लेने वाले रमाशंकर कौशिक ने लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में परास्नातक की पढ़ाई पूरी किया।इसी दौरान डॉ राममनोहर लोहिया के संपर्क में आकर और आचार्य नरेन्द्र देव से प्रेरित होकर उन्होंने समाजवादी युवक संघ की स्थापना का कार्य किया।इस शुरुआत के बाद उन्होंने जन जागरूकता,आन्दोलन,धरने जैसे रचनात्मक कार्यक्रमों में बखूबी सक्रियता दिखाई।साथ ही श्रमगढ़ी गजरौला नामक संस्था की स्थापना के माध्यम से अपने गृह क्षेत्र में समाज के निचले तबके,बुनकर,महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में लाने का सराहनीय कार्य किया। स्थानीय क्षेत्र गजरौला में सोशलिस्ट पार्टी के गठन के बाद रमाशंकर कौशिक ने हसनपुर तहसील के गंगा की बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र पर बाँध बनवाने की माँग को लेकर बड़ा आन्दोलन किया एवं किसान हित में बीस बीघे की जोत का लगान माफ़ करने की आवाज उठाई जिसके लिए जेल भी जाना पड़ा।वे सोशलिस्ट पार्टी की ओर से 67और 69 में हसनपुर विधानसभा और 1972 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की तरफ से अमरोहा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े लेकिन विजयश्री हासिल नही कर सके।जबकि अगले विधानसभा चुनाव 77 में हसनपुर विधानसभा से जनता पार्टी की ओर से निर्वाचित हुए।इसी कार्यकाल में उन्हें श्रम व आबकारी विभाग के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग का मंत्री बनने की जिम्मेदारी मिली।इसके बाद 85 में फिर से उत्तर प्रदेश विधानसभा का सदस्य बनने का मौका मिला साथ ही सदन में लोक लेखा समिति के अध्यक्ष चुने गये।विधायिका की ज़िम्मेदारी का कुशलतापूर्वक निर्वहन करने के गुण को देखते हुए उन्हें 1990 में विधान परिषद का सदस्य निर्वाचित होने का अवसर मिला।जिस दौरान उन्होंने उच्च शिक्षा,नगर विकास एवं जल आपूर्ति मंत्री का प्रभार ग्रहण किया। चार-पाँच नवंबर 1992 को लखनऊ में गठित समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य के रूप में रमाशंकर कौशिक की भूमिका महत्वपूर्ण थी।जिसकी वजह से वे जून 1995 से मार्च 1996 तक विधान परिषद में नेता विपक्ष रहे।लम्बे राजनीतिक अनुभव और समाजवादी सोच को देखते हुए समाजवादी पार्टी की तरफ से उन्हें 1998 में देश की सबसे बड़ी पंचायत के उच्च सदन राज्यसभा का सदस्य बनने का मौका मिला।बतौर सांसद कई कमेटियों का सदस्य रहने के दौरान उन्होंने आम जनता के हित वाले फ़ैसलों को प्राथमिकता के आधार पर आगे बढ़ाया।इतना ही नही उत्तराखंड के गठन का प्रारूप जिस कौशिक समिति की सिफ़ारिश के आधार पर तय हुआ वो रमाशंकर कौशिक के अध्यक्षता वाली समिति ही थी।रमाशंकर कौशिक ने आजीवन लोहिया और समाजवादी धारा की नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए संकल्पित रहे।सदन के भीतर और बाहर अपने समाजवादी सोच एवं संघर्षशील जज़्बे की वजह से वे पाँच दशकों तक प्रदेश और देश की समाजवादी राजनीति में सम्मानजनक रूप से चर्चित रहे.जय प्रकाश नारायण के आह्वान पर भाग लेने की वजह से उन्हें गिरफ्तार करके गोंडा जेल में रखा गया।उसके बाद आपात काल के दौरान मीसा के अधीन सेंट्रल जेल अलीगढ़ में 19 महीने की सजा काटनी पड़ी। रमाशंकर कौशिक आजीवन जनता के अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे।सहज और शालीन व्यक्तित्व उनकी पहचान थी।उनके भाषणों में हमेशा लोहिया के समाजवादी व्यवस्था को स्थापित करने की चिंता दिखाई पड़ती थी।विशेष अवसर के सिद्धांत,भाषा के सवाल सहित सत्ता के विकेंद्रीकरण को लेकर उनकी स्पष्ट सोच थी।जिसकी झलक अनेक अवसरों पर दिखती रहती थी।एक बार राज्यसभा में कमेटी ऑन ऑफिसियल लैंग्वेज के सदस्य रहने के दौरान उन्होंने कहा था कि "जबतक अंग्रेजी भाषा का राजकाज के लिए उपयोग ख़त्म नही होगा तबतक देश में सच्चा लोकतंत्र नही आ सकता।हम मात्र हिंदी की बात नही वरन मात्रभाषाओं में राजकाज चलाने के सिद्धांत को लेकर चलते हैं"।समग्रता में रमाशंकर कौशिक का जीवनवृत्त नौजवानों सहित राजनीति की गंभीरता को समझने वाले लोगों के लिए एक सन्देश है कि किस प्रकार स्वयं को एक जनपक्षकार के रूप में काम करते हुए राजनीति में शून्य से शिखर तक पहुँचा जा सकता है।उनके जन्मदिन अवसर पर उनके व्यक्तित्व को जानना और उनका सम्मान करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

मणेन्द्र मिश्रा 'मशाल'

संस्थापक-समाजवादी अध्ययन केंद्र

E mail- samajwadikendra@gmail.com
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