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योगी सरकार का एक साल और अनेक सवाल ~जश्न के बीच उभरते प्रश्न ~ यथार्थ शुक्ला

योगी सरकार का एक साल और अनेक सवाल  ~जश्न के बीच उभरते प्रश्न ~ यथार्थ शुक्ला
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प्रदेश की योगी सरकार का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा हो रहा है,उपचुनावों ने भले ही इस जश्न की खुसी को थोडा फीका कर दिया हो लेकिन सरकार ऊपर से लेकर नीचे तक भरपूर जश्न मना रही है,खूब जलसे हो रहे है बीजेपी के कार्यकर्त्ता अपनी पीठ थपथपाने का काम कर रहे है ,ये सच है जब सरकार बनी थी तो भावनाओ का ज्वार उफान पर था लोगो की अपेक्षाएं भरपूर थी ,हर वर्ग को लग रहा था कि उनकी समस्याओ का हल अब हर हाल में हो जायेगा ,तमाम किताबी बातो को लेकर सरकार अपना प्रशस्ति गान कर रही है,लेकिन इन सबके बीच सीतापुर में इस जश्न को लेकर तरह तरह के सवाल भी उठ रहे है और ये प्रश्न उठने स्वाभाविक भी है क्युकी यंहा के लोगो ने 2014 में यंहा से जुड़े सभी 4 लोकसभा सीटो पर बीजेपी को जीत दी थी और पिछले विधानसभा चुनाव में ज़िले की 7 सीटो पर बीजेपी को जीत हासिल हुई थी तो यंहा के लोगो को इस जश्न के बीच प्रश्न करने का भी अधिकार है
सरकार बनने के समय कानून व्यवस्था एक बड़ा सवाल थी लेकिन इस पर पहली चोट सीतापुर में ही हुई,कोतवाली से चंद कदमो पर दूरी पर हुआ बहुचर्चित ट्रिपल मर्डर सरकार की साख के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ और सबसे ख़ास बात तो ये है आज तक इसका सही खुलासा नही हो सका है,इसी तरह महोली में हुए डबल मर्डर,महमूदाबाद में हुए फ़र्ज़ी गुड वर्क ने पुलिस की कार्यशैली की पोल खोलकर रख दी,हरगांव में पुलिस की कार्यशैली और उसके बाद स्थानीय विधायक की लाचारी प्रश्न तो खड़े करती ही है,तालगांव इलाके में प्रधान की हत्या और फिर अरसे तक अपराधी की फरारी के अलावा सदरपुर और थानगांव इलाको में पुलिस बल पर हमला सरकार के जश्न पर बड़ा तमाचा है,लहरपुर और मछरेहटा में निरंकुश पुलिस ने बीजेपी कार्यकर्ताओ के साथ ही जिस तरह का दुर्व्यवहार किया उसने कई सवालो को जन्म दिया है
जंहा तक विकास का सवाल है बीते साल में कोई भी ऐसा बुनियादी काम ज़िले में नही हुआ जिसके रहते सरकार ज़िले में अपनी पीठ थपथपा सके ,आवास और सोचलयो में भ्रस्टाचार का मुद्दा सरकार को मुह चिढ़ाता रहा ,और रही सही कसर यंहा के माननीयो ने अपनी किरकिरी करा कर पैदा की पहले बिसवां विधायक टोल टैक्स की घटना को लेकर चर्चा में आये तो महोली में सांसद और विधायक की भिड़ंत चर्चा का विषय रही जबकि सदर विधायक को लेकर भी न्यूज़ चैनेलो पर खूब सुर्खिया हुई ,हाल ही में ब्लाक प्रमुख के उपचुनाव में परसेंडी में विधायक लहरपुर का आचरण भी खूब सुर्ख़ियो में रहा
प्रश्न तो ये भी है कि सपा सरकार में जिस बालू खनन को लेकर सबसे ज्यादा सवाल उठते थे धरती का सीना चाक करने का गन्दा खेल और वीभत्स रूप में आज भी जारी है,सरकारी अस्पताल और इलाज़ का हाल बेहाल है कुत्ते नवज़ात को अस्पताल के गेट से उठा ले जाते है तो प्रश्न तो उठते ही है,तहसील बुरी तरह से भ्रस्टाचार के अड्डे बने हुए है ,जनता अपनी समस्याओ के लेकर भटकती है लेकिन सुनवाई कंही नही तो प्रश्न तो उठते ही है
यंहा के हुक्मरानो ने जिस तरह से जनता के नुमाइंदों को सर्मशार करने का काम किया उससे आम जनता का विश्वास तो टूटा ही तमाम प्रश्न भी पैदा हुए ,प्रश्न तो तब उठता है जब यंहा की प्रभारी मंत्री रीता जी ज़िला योजना की बैठक में लाचारी के साथ कहती है कि अफसर मेरी ही नही सुनते,मिसरिख सांसद अंजू बाला को उनके ही इलाके के आयोजनों में अधिकारी आमंत्रित ही नही करते यही नही सांसद राजेश वर्मा को दिशा की बैठक में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियो से खुद का नाम पूंछना पड़ता है,उनकी और जनप्रतिनिधियो की निधि का हिसाब रखने वाले अधिकारी उन्हें ही भाव नही देते,हरगांव के विधायक और पूर्व मंत्री पुलिस कप्तान को लेकर सवाल उठाते है और कोई सुनवाई नही होती यही नही पूर्व मंत्री रामलाल राही को पुलिस और शिक्षा विभाग के अधिकारियो की कार्यशैली के रहते धरने पर बैठने की बात करनी पड़ती है,पुलिस का अदना सिपाही भी सदर विधायक की नही सुनता तो प्रशन्न तो उठते ही है,प्रश्न तो तब भी उठते है जब गांज़री अंचल का शिक्षा विभाग का एक निचले स्तर का अधिकारी महिला कार्मिको के साथ दुर्व्यवहार करता है और भ्रस्टाचार में संलिप्त रहता है,अनाज के गोदामो पर भ्रस्टाचार का बोलबाला है,ग्रांट के बावज़ूद विभाग नौकरी खो चुके शिक्षा मित्रो को मानदेय नही दे पाता,अपना हक़ मांगने आई आंगनबाड़ी कार्यकत्रियो को देश द्रोह का मुकदमा लादकर ज़ेल भेजा जाता है तो सवाल तो बनते ही है
ज़िले में जब बाढ़ की समस्या जस की तस रहती है,होली मेला में पुलिस अवैध वसूली करती है,लखीमपुर फोर लेन का काम अटका पड़ा रहता है तो प्रश्न तो बनते ही है।
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