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लेख

"छछूनर"................: धनंजय तिवारी

छछूनर................: धनंजय तिवारी
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"लुलुन बाबू राउर हाथ जोड्तानी जा" दुनु भौजाई लोग गीडगीडाईल लोग " अम्मा जी से मत बताएब नात उहा के हमनी के एक नतीजा ना छोडेब."
लुलुन एकदम गिल हो गईले. आजुले भौजाई लोग कभी भर मुह से बात ना कईले रहे अउरी अब उनकर चिरौरी करत रहे लोग. भईल इ रहे की उ लोटा लेबे खातिर रसोयिया घर में अचानके घुस गईल रहले अउरी दुनु भौजाई लोग दूध पियत पकड़ा गईल रहे लोग. कई दिन से रात में दूध कम पड़ जाऊ अउरी चोर के बारे में पता ना चले. अब लुलुन के दूध चोरी के राज पता चल गईल रहे. एतना बडहन मौका हाथ आईल रहे. खाली हाथे उ बात कईसे मानिते. उनका ध्यान आईल कि ढकेलुवा के पान अउरी सुरती के उधार सौ से पार हो गईल रहे अउरी बाबूजी से अबे एक महिना तक पईसा मिले के उम्मीद भी ना रहे. भौजाई लोग से पईसा वसूले के इ सुनहरा अवसर रहे. उनका इ मालूम रहे कि भौजाई लोग आसानी से पईसा ना दी. तनी उंगुली टेढ़ा करे के पड़ी.
"नाही नाही." उ साफ़ मना क देहले.
"रउवा हमनी के लहुरा देवर हई." छोटकी भौजाई भावनात्मक चाल चलली " रउवा ना साथ देब त, के दी."
लुलुन में मन तनी पसिजल पर फेरु ढकेलुवा के उधार याद आ गईल.
"देवर भाभी के नाता होली में." लुलुन ठिठाई से कहले.
"इ मत भुलाई की जब हम ए घर में अईनी त रउवा उघारे घूमी." बडकी भौजाई लोलियावत कहली अउरी लुलुन लजा गईले.
"ठीक बा हम ना कहेब पर हमार एगो शर्त बा."
"कवन?"
"तह लोग के सौ रुपया देबे के पड़ी."
दुनु जानी बिना कवनो हीला हवाली के हां कह दिहल लोग अउरी मन ही मन भगवान के गोड लागल लोग कि सौ रुपया में बात निपट गईल नात अम्मा जी त पूरा इज्जत के जुलुस गाव भर में निकलती.
दुनु जानी अपना अपना कमरा से लियाके पचास पचास मिलाके दे दिहल लोग.
रात के दूध देबे के समय आईल त दूध फेरु कम हो गईल. लुलुन के माई के क्रोध आज सातवा आसमान पर रहे.
लुलुन भले भौजाई लोग से सौ रुपया ले लेले रहले चुप रहे के पर भौजाई लोग के उनका स्वाभाव के चलते भरोसा ना रहे अउरी मन ही मन राम राम जपत रहे लोग. माई बार बार पूछस. हर बार लुलुन के धड़कन बढे, रक्त चाप ऊपर निचे होखे अउरी दिन के राज जबान से बाहर आवे खातिर छटपटाये. उनकर माई आज दुनु बड़का बेटा खातिर बड़ा दुखी रहली. आज अगर उ घरे रहित लोग त चुटकी में दूध चोर के खोज लियायित लोग. अपना सामने दुनु भाई के बड़ाई उहो जब उनके चोर के पता रहे, लुलुन भला बर्दास्त करिते, फ़ौरन बात जुबान पे बात आईये गईल अउरी दूध चोरी के बात मुह से निकल गईल. भौजाई लोग के त कटले खून ना निकले वाला हाल हो गईल. लुलुन पर क्रोध भी जबरजस्त रहे. सासु जमके फजीहत कईली अउरी उ लोग सहल पर मन में तय क लिहल लोग की लुलुन के भी एकरा से बढ़के बेइज्जत करवायेब जा.
मनीष छह भाई बहिन में सबसे छोट रहले. बाबूजी मास्टर रहनी. पेट पोछना भईला के वजह से माई के आख के तारा रहले अउरी उ उनके दुलार से लुलुन कहे. घर में कवनो चीज के कमी ना रहे. बाकी भाई बहिन लोग के वियाह हो गईल रहे. अब इनकर बारी रहे. तिलकहरू लोग दुवार खोन देले रहे पर उनकर बाबूजी के डिमांड के हिसाब से दहेज़ ना मिलला से देर भईल रहे. पढाई में इनका बचपन से ही ज्यादा रूचि ना रहे. कवनोगा से खीच खाच के इंटर कईले अउरी फिर ओकरा आगे हथियार डाल देहले. अब फुल टाइम गाव में दुवारे दुवारे घूम के समय पास करस नात ढकेलुआ के पान के टंकी पर. मुह पान भा गुटखा से हमेशा भरल रहे. घर के कवनो काम के भी चिंता ना रहे अउरी उनकर इ ठाट बाट देखके भौजाई लोग के इर्ष्या भईल स्वाभाविक ही रहे. जब जब मौका मिले उ लोग ताना मारल ना छोड़े लोग. भाई लोग बाहर कमात रहे.
भले मनीष के माई और घर के बाकी सदस्य लोग उनके लुलुन कहे पर गाव जवार के लोग उनकर रहन देख के नामकरण छछूनर कईले रहे. मनीष या लुलुन कहला पर शायद केहू ना बता पायित पर छछूनर कहला पर चट से उनकर पता मिल जाईत.
छछूनर के सटीक रूप से परिभाषित करे के कहल जाऊ त शायद दिक्कत हो सकेला काहे से एकर क्षेत्र एतना व्यापक बा की कवन काम से आदमी छछूनर कहा सकेला अउरी कवना से ना अयिमे काफी उलझन बा. वैसे त छछूनर, चूहा के ही जाति बिरादरी के ह लोग पर बदबू कईला के वजह से जेने से गुजरेला लोग, लोग मार मार कहिके पीछे पड़ेला. ए लोग के साथे इ व्यवहार कवनो आश्चर्यजनक नइखे. जब घर घर में गणेश जी के पूजा भईला के बाद भी उनकर सवारी मूस महाराज के लोग घर में देखके चहेट देला, मारे खातिर जहर रखेला या चूहेदानी, फेरु छछूनर जवन की कवनो देवता के सवारी भी ना ह, ओकरा साथे इ व्यवहार भईल समझल जा सकेला. इहे नाही ए पृथ्वी के सबसे बडहन शिकारियन में गिने जाए वाला मुसन के दुश्मन साप भी जब एकनी के ना निगल पावेला लोग त मनुष्य अपना घर पे एके कैसे वर्दाश्त करी.
जवन व्यवहार वास्तविक छछूनर के साथे होला ठीक वैसे ही व्यवहार मनुष्य रुपी छछूनर के साथे भी होला. अगर केहू गंभीर बात करत होखे, राज के बात करत होखे या कवनो ज्ञान विज्ञान के, छछूनर के देखते लोग आपन बात बदल देला. छछूनर के स्वाभाव भी ठीक बिन मौसम बरसात वाला होला अउरी कब केकरा दुवार पर टपक पड़ी लोग कुछु नइखे कहल जा सकत. ए लोग के सूचना तंत्र एतना जबरजस्त होला कि गाव जवार के हर बात ए लोग के मालूम होला. केहू चाहे या ना पर इ लोग ओ जानकारी के, थोडा वाहवाही खातिर जरूर बतावेला. इ अलग बात बा कि कवन बात कहाँ अउरी कब कहे के चाही एकर ज्ञान ना भईला के वजह से ठीक छछूनर खान लोग मार मार क के पडेला. एह लोग के कुछ गुण से ए लोग के कुचुरा भईला के भी भरम हो सकेला पर दुनु में जमीन आसमान के अंतर होला. कुचुरा आदमी गोपनीय सूचना प्राप्त क के वोइमे मरिचा मसाला लगा के दू आदमी के लडावे के काम करेला लोग अउरी आपन नाम के भरसक गोपनीय रखे के परयास करेला. जबकि छछूनर लोग आपन नाम बढ़ा चढ़ा के बतावेला लोग अउरी लाख झड़ीयावला के बात भी इ लोग सबके यहाँ जाला अउरी प्रेम भाव रखेला. ए लोग के चरित्र के सबसे बडहन कमजोरी होला कवनो बात के मन में ना राखल. पाच दिन के खाना एक दिन में खा के पचा सकेला लोग पर कवनो बात ना. लाख झड़ीयावला, फटकरला के बाद भी इ लोग के चेहरा पर जवन मुस्कान आवेला ओके गाव देहात में चवन्निया मुस्की कहल जाला.
लुलुन ए सब गुडन के विपुल स्वामी अउरी गाव जवार के छछूनर कुल के आदर्श रहले. पूरा गाव ठीक छछूनर वाला वर्ताव उनका साथे करे अउरी उनका केहू के बात के कवनो माख ना होखे. कभी गलती से केहू उनका माई या मास्टर साहब के सामने कुछ कह दियल तब दिक्कत होखे. दुनिया में वैसे भी बहुत गिनल चुनल माई बाप होईहे जे अपना औलाद के हिनाई बर्दाश्त क पयिहे.
गाव जवार चाहे कुछु कहे पर वियाह के मार्केट में लुलुन के जबरजस्त मांग रहे. पक्का मकान, अच्छा खेत बारी, बाप सरकारी मास्टर, दुगो बड़का भाई नौकरी पर अउरीवोहू से बड सगरी बहिन के वियाह हो गईल होखे, अगर अइसन परिवार में लईका वियाह के योग्य होखे त फेरु ओकरा से सुयोग्य वर के हो सकेला. का भईल अगर लड़का तनी कम पढ़ल होखे. समचा त बरियार बा. वैसे भी बड़का पढ़ा लिखा का तोप मार देला लोग. अगर समचा ठीक ना होखे अउरी शादी के बाद नौकरी ना लागे त b. a. , m.a. पास लोग घर के जिम्मेदारी ना उठा पावेला लोग अउरी लड़की के दर दर के ठोकर खाए के पडेला. ओकरा से त लाख गुना बढ़िया इ कम पढ़ल लिखल लड़का बा. बाप के कम से कम चालीस हज़ार मिळत होई. रिटायर भईला पर कम से कम तीस लाख मिलबे करी अउरी ओकरा बाद भी महिना के बीस हज़ार त कही ना जाई. अनाज पानी ख़रीदे के नइखे. अगर दस पन्द्रह साल नहियो नौकरी करिहे त लड़की के कवनो हर्जा ना होई. इहे सोच के एगो तिलकहरू मास्टर साहब के डिमांड स्वीकार क लेहले अउरी लुलुन के बियाह हो गईल.
लड़की सुन्दरअउरी m.a. पास मिलल. सामान त एतना मिलल कि पूरा घर भर गईल. बाकी दुनु भौजाई त मिला के भी ओकर एक चौथाई सामान ना लियायिल रहे लोग. भैजायी ही काहे, पूरा जवार में केहू के एतना सामन मिलल रहे का. पूरा गाव में बस लुलुनवा के शादी के ही चर्चा. कुछु कह पर इ छछूनर भागिमान बा, सब केहू बस इहे कहे.
जहा बडकी दुनु बहु पर लुलुन के माई खूब कास करायी रखले रहली, छोटकी बहु के पलंग से निचे उतरे ना देस. एतना मान जान ज्यादा दहेज़ के लिययिला के वजह से रहे या सबसे दुलरुवा बेटा के मेहरारू भईला के वजह से कहल मुश्किल रहे. लुलुन के भौजाई लोग के इ मान जान फूटलो आँख ना सुहाव अउरी दिन भर आपस में कानाफूसी करे लोग, सामने कुछ बोले के हिम्मत ना रहे.
कम समय में ही लुलुन में पत्नी रूबी के इ बुझा गईल कि सास ससुर के छोड़ के बाकी लोग के नजर में उनका पति के कवनो मान सम्मान नइखे. ससुराल में हर पत्नी चाहेले की उनका पति के नाम अउरी मान जान होखे. वैसे भी नया शादी भईला के वजह से रूबी के लुलुन के खाली अच्छाई ही लउके. आखिर कई दिन बर्दास्त कईला के बाद एक दिन उ देयादिन लोग से भीड़ ही गईली. उ लोग कवनो बात पे लुलुन के झडले रहे. नया नवेली बहु के बात से दुनु जानी सकता में आ गईल लोग. लुलुन से त दूध वाला बात से ही पहिले से ही चिढ रहे अउरी आज देवरानी के मुह खोलला से लुलुन से बदला लेबे के विचार और पक्का हो गईल.
शादी के बाद एक महिना कवानिगा बीतल लुलुन के पता ही ना चलल. ससुरारी से मिलल पईसा से खूब चानी कटले. लेकिन अब उनकर हाथ खाली रहे अउरी ऊपर से उनकर पत्नी रोज सिनेमा में जाये के जिद करस. पईसा के त फिर भी व्यवस्था हो जाईत पर रूबी के घर से बाहर अउरी उहो सिनेमा खातिर उनकर माई जाए दिहे एकर त सवाल ही ना रहे. उनका अच्छा से याद बा कि दुनु भौजाई लोग के पहिला बार, पाच साल बाद नैहर खातिर विदाई भईल रहे अउरीएकरा बीच में घर से बाहर कभी उ लोग पाँव ना निकलले रहे. उ रोज रूबी के झूठा बहाना बना के टालस. वैसे रूबी के भी सासु के स्वाभाव के अंदाजा हो गईल रहे. एही बिच ससुराल से साली अउरी सास के फ़ोन आ गईल उनसे मिले खातिर. साली लोग के इच्छा रहे कि जीजा जी के साथे फिलिम देखल जाऊ. लूलून बड़ा चिंता में पडले कि कईसे साली लोग के मन के इच्छा पूरा कईल जाऊ. उनका त कवनो हल ना मिलल पर रूबी एकर उपाय निकल लेहली. अगर बेमारी के बहाना बनावल जाऊ त शायद सासु मा जाएँ देस. पर कवन बेमारी- सर्दी खासी अउरी बोखार खातिर त झोला छाप फैमिली डॉक्टर ढोड़वा ही काफी रहे. अगर उ ए कुल बेमारी के बहाना बनियिती त झट से ओके बोलवा दिहल जाईत. अगर झूठा प्रेगनेंसी के बहाना कईल जाऊ त उ कारगर साबित हो सकत रहे. वैसे त मोड़ पर एगो अउरी झोला छाप डॉक्टर पैगम्बर एकर एक्सपर्ट रहले पर आरंभिक जाच खातिर त शहर ही जाए के पडित. इ अच्छा बहाना रहे. वोही बेरा से रूबी लगली ओकाए, उनकर जी लागल मिचलाए अउरी घर में रखल सारा इमली खा गईली. उनकर इ सारा हरकत सासु के नजर में भी आ गईल अउरी सास के ख़ुशी के धरान ना रहे.
"माई तू कहितु त इनके डॉक्टर के ले जाके देखा आयिती." उनकर बढ़िया मूड के देख लुलुन कहले.
"बाहर ले गईला के का जरूरत बा." माई कहली "अभिये पैगम्बर के बोला के देखा देतानी."
"का बात करतारु माई. जमाना केतना आगे बढ़ गईल बा अउरी तू झोला छाप डॉक्टर के चक्कर में पडल बाडू. हम ओकरा से इलाज ना करे देब."
उनका माई के भी लुलुन के बात में दम नजर आईल. वैसे भी पैगम्बरा के अयिला से अगल बगल के लोग के शक हो जाईत.उ अबे एके गोपनीय रखे चाहत रहली. उ तैयार हो गईली.
रात के सारा योजना बन गईल अउरी तय भईल की सासु और साली से मिले पास के क़स्बा ना जाके तनी दूर चलल जाऊ. पास के क़स्बा में गाँव के लोग रोज बाजार करे अउरी सिनेमा देखे जाऊ लोग. एयिजा पकडईला के डर रहे. उ माई के दूर के क़स्बा में जाए खातिर मना लेहले. माई त वैसे भी ना चाहत रहली की अबे केहू के पता चले. गाव जवार में इ आम चलन बाकि केहू के गर्भवती भईला पर इ बात के छिपावल जाला जबकि एके उलट शहरन में एके खबर मिलते ही जश्न होला अउरी तमाम हित नात बधाई सन्देश भेजेला लोग.
होत भिन्सहरा ससुरारी से मिलल नया स्प्लेंडर से लेके लुलुन रूबी के निकल गईले. बाकी समय मंदिर अउरी स्टेशन पे बितावे के हिदायत माई देहल ना भुलयिली.
लुलुन के पहुचे में लगभग पच्चिश मिनट लागल. सासु मा अउरी साली लोग भी समय से आ गईल रहे. वोइजा रूबी के मौसी के घर रहे. लुलुन के खूब खातिर भईल. सासु मा एतना नीमन सुन्दर दामाद के मुह निहारे में मगन रहली त साली लोग जीजा जी से मजाक में व्यस्त रहे लोग. साढ़े ग्यारह कब बज गईल पता ही ना चलल. फेरु सब केहू सिनेमा देखे खातिर निकल गईल.
सिनेमा भी बड़ा बढ़िया रहे अउरी ऊपर से साली के साथ. लुलुन के त सोना पे सुहागा हो गईल रहे. फेरुसात बज गईल अउरी मुन्हार हो गईल. अब चले के समय आ गईल. लुलुन के माई आदेश देले रहली कि रात के ही घरे आवे के बा. लुलुन के आवे के त इच्छा ना रहे पर माई के डर से आवे के पडल. चले के समय लुलुन के ना ना कईला के बाद भी सासु मा दू हज़ार बगली में डाल दिहली. पईसा जेब में आ गईल त लुलुन के मन में कुछ माई खातिर लेबे के भी ख्याल आईल. उ बाजार से दू किलो आम अउरी एक किलो मिठाई ले लेहले.
एने आईला में देरी से भौजाई लोग भी चिंता में रहे कि कवन जाच होता. सुबह से शाम हो गईल पर इ लोग अबे ले ना आईल. ओ लोग के पूरा संदेह रहे कि लुलुन जरूर फिलिम देखे या ससुरारी गईल बाड़े. पर डर से कुछ ना कहल. उनकर माई इत्मिनान से रहली.
"काजी कवन फिलिम देखनी ह?" लुलुन साढ़े सात बजे घरे अयिले अउरी भौजाई लोग तुक्का मारल.
लुलुन अउरी रूबी, दुनु जाना घबरा गईल लोग. ए लोग के कईसे पता चल गईल.
"फिलिम?" लुलुन हकलात कहले.
"एतना देर ले का होत रहल ह?" बडकी भौजाई कहली.
"तह लोग आपन मुह बंद रख अउरी पानी लियाव लोग." लुलुन के माई खिसिया के कहली " ए लोग के मुन्हार के बाद आवे के हमही कहले रहनी ह."
दुनु पतोह लोग के सासू पर खूब खीस बरल. हमनी के त नैहर जाए के नाम पर इनका बिपत पर पड़ जाला अउरी नया नवेली बहु के खुदे दिन भर खातिर बाहर भेजले रहली ह.
छोटकी भौजाई के नजर मिठाई अउरी आम के थैली पर गईल. अब उनका शक गहिरा हो गईल. एतना सामान लियावे के पईसा कहाँ से आईल ह, उनका याद पडल कि लुलुन काल्हिये माई से पईसा खातिर निहोरा करत रहुवे.
"रिपोर्ट में का आईल ह ?" माई पूछली.
"अम्माजी रिपोर्ट दू दिन बाद आई. रिपोर्ट वाला मशीन में कुछ खराबी रहल ह" रूबी सफाई से कहली.
सासु के संतोष हो गईल अउरी रूबी के भी. उनका भी धरायिला के बड़ा चिंता रहे.
दुनु भौजाई लोग के शक अब अउरी बढ़ गईल. दुनु जानी आखो ही आखो में इशारा कई लोग अउरी आगे के कदम तय हो गईल. उ लोग के मालूम रहे की लुलुन से राज उगल्वावे के सबसे आसन तरीका बा ताव दिववावल.
"कुछु कह पर जेतना मान जान हमनी के आदमी लोग के ससुरारी में होला ओतना केहू के ना होई." बड़का भौजाई कहली.
"एयिमे कवन दू राय बा का दीदी. शादी के दस साल से ज्यादा हो गईल पर आज भी ए लोग के सासु से सौ रुपया से निचे ना मिलेला."
लुलुन के खीस भी बरल अउरी गर्व भी भईल. चलल बा लोग हमरा सामने नैहर के बड़ाई बतियावे. सौ रुपया बड़का कुबेर के खजाना हो गईल अउरी हमार सासू दू हज़ार देले बाड़ी ओकर कवनो गिन्तिये नइखे. अब उनकर रक्तचाप ऊपर निचे होखे लागल. चुप चाप रहला के मतलब होई की ए लोग के बात सच बा. उनका आगे पीछे कुछु ना लउकत रहे. उ अपना ससुरारी के कईसे नीचा होखत देख सकिहे. वैसे भी चुप रहल उनका बस में रहबे कहा कईल.
"तह लोग चुपे रह त ठीक बा." उ ताव से कहले "हमरा ससुरारी के आगे तह लोग के नैहर के का मुकाबला."
"चुप त रउवा रही. शादी में मिलल दहेज़ पर मत इतराई. अब एकरा बाद सासु एको ढेला देस तब बोलब." छोटकी भौजाई ताव देहली.
"ढेला के का बात करतारु." लुलुन आपन पर्स निकालत कहले " आजुवे दू हज़ार देहली ह."
रूबी के चक्कर आवे लागल. लुलुन इ का क देहले. केतना समझावानी ह रास्ता में की केहू केतना भी ताव देऊ पर मुह मत खोलिह. लुलुन के माई के भी मुह खुला रह गईल अउरी भौजाई लोग विजयी मुस्कान से गिल हो गईल.
रूबी के खीस के सीमा ना रहे अउरी उनका मुह से निकल गईल " रउवा त बड़का छछूनर बानी जी."
आगे लिखला के जरूरत नइखे किएकरा बाद लुलुन अउरी उनके मेहरारू के जमके फजीहत भईल. रूबी एक झटका में ही सासू के नजर से उतर के जमीन पर आ गईली. लुलुन के दुनु भौजाई लोग रूबी के अपना श्रेणी में आईला पर बड़ा ख़ुशी रहे. लुलुन भी रूबी के नजर में पति परमेश्वर से गिर के छछूनर बन गईल रहले.

धनंजय तिवारी
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