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उत्तर प्रदेश के बाल साहित्यकारों का रचना संसार –प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव

उत्तर प्रदेश के बाल साहित्यकारों का रचना संसार –प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव
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उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश ने आज निराला सभागार में अभिनंदन पर्व का आयोजन १९ मार्च, १०१५ को किया गया था. इस संस्थान के निदेशक डॉ. सुधाकर अदीब और कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. उदय प्रताप सिंह से मधुर सम्बन्ध होने के कारण मुझे भी इसमें सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ. वैसे इस संस्थान के अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव हैं. उनकी साहित्यिक अभिरुचि के कारण ही यह संस्थान जीवित हो चुका है. निरंतर देश तथा प्रदेश के साहित्यकारों को उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित कर रहा है.

इस संस्थान के निदेशक सुधाकर अदीब का कहना है कि किसी भी समाज की आधारभूत सफलता के आकलन के लिए संभवत: इससे अच्छा दूसरा मापदंड नहीं हो सकता कि वह बच्चों के चतुर्दिक विकास के लिये क्या कर रहा है. कैसे संसाधन उपलब्ध करा रहा है और विशेषकर नयी पीढ़ी को अध्ययन, अनुशासन व् सदाचार जैसे सद्गुणों तथा प्रेम, शांति, सभी की खुशहाली और अन्य मानवीय मूल्यों से परिचित कराने के लिए कैसे सद्प्रयास उपलब्ध करा रहा है. यह हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है कि हम उन्हें विकास का उचित वातावरण और सुयोग्य शिक्षा-दीक्षा देकर समाज को उन्नतशील बनाने वाला निष्ठावान नागरिक बनाएं. बालक संस्कार ग्रहण करने में सबसे ज्यादा समर्थ होते हैं. उनका कौतूहल से भरा मन उपलब्ध रंग रूपों, कल्पना और भावनाओं को सहज ही अपने चरित्र का अंग बना कर विकसित हो जाता है. बाल साहित्य पर अपनी लेखनी चलाने वाले कुछ उल्लेखनीय साहित्यकार इस प्रकार हैं -

. श्रीमती निर्मला सिंह, जो बरेली की निवासिनी हैं, को सुभद्रा कुमारी चौहान महिला बाल साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया. अपने बाल साहित्य के सृजन के माध्यम से आप बाल मन को संस्कारों, सुविचारों से सजाने-सवारने का कार्य करती रही हैं. उनका कहना है कि साहित्य, मानव मन को संस्कारित करने का उत्तम उपकरण है. बाल मन पर सुविचारों का प्रभाव पड़ता है. बाल साहित्य का सृजन लोक मंगल की अवधारणा को परिपुष्ट करता है. साहित्य की सभी विधाओं में अकूत शक्ति होती है. कविताओं और कथाओं द्वारा बच्चों को संस्कारवान बनाने का उपक्रम करने का कार्य श्लाघनीय होता है.8 अप्रैल, 1943 में जन्मी और एम्. ए. एल.टी. तक शिक्षा प्राप्त का रचना संसार इस प्रकार है

१. लघु कथा संग्रह बबूल का पेड़, सांप और शहर

२. काव्य संग्रह तपती रेत की शिलाएं, वक्त की खूटी, धुप के तुकडे.

३. कहानी संग्रह पिंजरा खुल गया, धुएं के पहाड़, धुएं की इमारत, मुट्ठी में बंद खुशबु, संजीवनी बूटी, वक्त की करवट, तबादला, सन सैटव्यू तथा के कप काफी.

४. उपन्यास पिघलता सीसा, अक्षम्य, आज की शकुन्तला, सरोरुह, मैं अतीत नहीं, लैंड्स एंड.

५. बाल साहित्य बाल गीत- भाग , बाल गीत भाग , हम हैं हिन्दुस्तानी, मेरा गाँव (कविता संग्रह); सॉरी मम्मी, थैंक यु पापा,अरे आसमान से रुई गिर रही है, वाह! बड़े तीरंदाज हैं, पापा पिकनिक चलो न, मैं जंगल का राजा हूँ, एकता में बल है, तथा फैंसी ड्रेस (कहानी संग्रह ), रुको नहीं कुसुम, मामी-पापा सॉरी मानगो, चलें गाँव की ओर, चुनमुन (उपन्यास)

. सूर्य कुमार पांडे, जो लखनऊ के निवासी हैं, को सोहनलाल द्विवेदी बाल कविता सम्मान मिला. १ जनवरी, १९५६ को जन्मे श्री पांडे जी का रचना संसार इस प्रकार है-

गीत तुम्हारे, चूहे राजा, हम बच्चे, फूल खिले, बन्दर जी की दुम, मेरी प्रिय बाल कवितायेँ, गीत चुन्मुने, अक्कड़-बक्कड़, हम हैं किससे. इसके अलावा बाल साहित्य पर पांच पुस्तकें प्रकाशाधीन हैं.

३. डॉ. कामना सिंह, जो आगरा की निवासी हैं. आपको निरंकार देव सेवक बाल साहित्य इतिहास लेखन सम्मान से सम्मानित किया गया. १२ अक्टूबर, १९७५ को जन्मी कामना सिंह का बाल साहित्य का रचना संसार इस प्रकार है

स्वातंत्र्योत्तर हिंदी बाल साहित्य, बाल साहित्य का इतिहास, बाल कविता संग्रह गुडिया रानी. बाल उपन्यास- एक थी शीना, भारत अपना घर, पानी है अनमोल, शीना चली घूमने, गुडिया घर, शीना विचित्र लोक में. हिंदी बाल साहित्य तथा बाल विमर्श पुस्तकें भी उल्लेखनीय हैं.

४- संजीव कुमार जायसवाल, संजय,जो लखनऊ की निवासी हैं, अम्रुतलाल नागर बाल कथा सम्मान मिला. उनका मानना है कि नन्हे-मुन्ने बच्चों के बाल मन को रोचक और बोधगम्य कथाओं, कविताओं, लघुकथाओं के माध्यम से संस्कारित करने का कार्य महती अवदान का उत्कृष्ट आयाम होता है. उनकी चर्चित बाल रचनाएं इस प्रकार हैं-

खोया हुआ बचपन, गुरु दक्षिणा, बाल उपन्यास लाल बंगला, ओपरेशन डम डम डिगा डिगा, हवेली, खजाने की खोज, बीस करोड़ के हीरे,पीली फाइल, फिर सुबह होगी, डूबा हुआ किला. बाल कथा संग्रह रंग बिरंगी कहानियां, फूलों की राजकुमारी, साहसिक कथाएं, जादुई कहानियां, ह्युमन फैक्स मशीन, आधुनिक कहानियां, टिन्नू मियां का कुरता. चित्र कथाएं बादल, सूरज का गुस्सा, चंदा मामा, टूटे पंख,धर्म, आम का पेड़, चीनू-मीनू, राजा का दर्द, पहलवान जी, ज्यादा अच्छा, वह हंस दिया, डॉक्टर साहब, बरसा बादल, हाथी का बच्चा, मैं के किताब, वही जो तुम करते हो, सब गड़बड़, भोलू को सबक, जंगल में बारात, चिंटू का जहाज, चिंटू बने दादाजी, चिंटू का महल, चंदा गिनती भूल गया, जंगल का रजा, शेर बिल्ली बन गया, सूरज चंदा साथ-साथ.

५- बिभाश पांडे मूल रूप से लखीमपुर खीरी के रहें वाले बिभाश पांडेय शिक्षार्थी बाल कला सम्मान से विभूषित किया गया. १९७१ में जन्मे श्री विभाष पाण्डेय जी का कहना है कि बच्चों को मोहित करने में चित्रों- आकृतियों की अद्भुत क्षमता होती है. चित्रों के साथ कथा,कहानी, कविता या कोई भी विषय अपने अर्थों का सम्प्रेषण करने में बहुत ही सरल और बोधगम्य हो जाता है. चित्रात्मकता शब्दों के साथ ऐसी लगती हैं, जैसे सोने में सुहागा. आपका बाल साहित्य सम्बन्धी रचना संसार इस प्रकार है

रूम टू रीड, गौरैया(पोस्टर), चंपा के फूल (पोस्टर), मिनी की सायकिल तथ हमारे खेल (पुस्तक). इसके आलावा तीन दर्जन से अधिक पुस्तकों में रेखांकन किया है. जिनमे से दाल का दाना, लोरी और गोरी, नानी और शोभनी, दादी क्या कर रही हो? टेनी?, सूरज का गुस्सा, जंगल का राजा कौन?, खीर की कटोरी, हमारे त्यौहार, ढेर सारे दोस्त आदि.

६. प्रेमचंद गुप्त, विशाल को लल्ली प्रसाद पाण्डेय बाल साहित्य पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किया गया. आपका कहना है कि बाल मन को पढना और उसको रुचिकर लगने वाला साहित्य सृजित करना, साहित्य रचना कर्म का कार्य होता है. लखनऊ के रहने वाले श्री प्रेमचंद गुप्त का रचना संसार इस प्रकार है

बाल उपन्यास होनहार.

बाल कथा संग्रह - गुब्बारे वाला.

बाल गीत संग्रह फुलवारी के फूल.

बाल नाटक संग्रह कंचाजीत

बाल कहानी संग्रह आजादी का दिन.

किशोर कहानी संग्रह छोटू की ईमानदारी.

इसके आलावा सात पुस्तकें प्रकाशाधीन हैं.

७. डॉ. हेमंत कुमार को डॉ. राम कुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान से सम्मानित किया गया. मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले इस समय लखनऊ में रह रहे हैं. उनका कहना है कि साहित्य की विभिन्न विधाओं में नाटक एक ऐसी विधा है, जो व्यक्ति के मन पर अन्य विधाओं की तुलना में सहजता से गहरा प्रभाव डालती है. बाल मन नाटक द्वारा दिए गये संदेशों को शीघ्रता के साथ ग्रहण करता है. आपका बाल साहित्य का रचना संसार इस प्रकार है

एकांकी संग्रह आजादी का सुख, धरती माता.

बाल नाटक कहानी तोते राजा की.

इसके आलावा बाल कहानियों, गीतों, नाटकों की लगभग ३८ पुस्तकों के साथ सचित्र बाल विश्व कोष एवं शब्द कोश प्रकाशित है.

८. ओम प्रकाश कश्यप, जो मूलत: बुलंद शहर जिले के रहने वाले हैं, इनको कृष्ण विनायक फडके साहित्य समीक्षा सम्मान से सम्मानित किया गया. आप द्वारा रचित बाल साहित्य का रचना संसार इस प्रकार है-

बाल कहानी संग्रह - नन्हीं का बटुआ, सोन मछली, हरी सीप, कहानी वाले बाबा, फ़रिश्ते, साहसी की सदा जय. समीक्षा हरिकृष्ण देवसरे का बाल साहित्य.

बाल कविता संग्रह वृक्ष हमारे जीवन दाता, जल ही जग का जीवनदाता.

बाल नाटिकाएं हलवाई की दुकान से, दो राजा अलबेले.

९. राजीव सक्सेना को जगपति चतुर्वेदी बाल विज्ञान लेखन सम्मान से सम्मानित किया गया. आप मूल रूप से बुलंदशहर के रहने वाले हैं. आपका रचना संसार इस प्रकार है-

बाल कथा संग्रह अंतरिक्ष का सन्देश.

बाल विज्ञान कथा प्रोफ़ेसर खुराना का क्लोन, टाइम मशीन.

बाल विज्ञान कथा संग्रह डमरू काका का बाइस्कोप, हरित वन में मिकी माउस. फिर आये देवता, रेलवे पुल का गोलू, रोबिन हुड का हैट,जंगल की कहानियां, मेरी शिक्षाप्रद बाल कहानियां, अंतरिक्ष का चोर.

बाल विज्ञान धरती के कैदी.

बाल उपन्यास एलियन, शालीन की टाइम मशीन, क्लोन, रोबो सिटी.

बाल संस्मरण मैं ईशान.

१०. परमात्मा प्रसाद श्रीवास्तव को उमाकांत मालवीय युवा बाल साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया. आपका मानना है कि बाल साहित्य द्वारा समाज की नयी पीढ़ी का चरित्र निर्माण होता है. बाल मन को भाने वाला लोक लुभावन साहित्य रचने में हर आयु के रचनाकार तल्लीन हैं. संत कबीर नगर के रहने वाले श्रीवास्तव जी ने चित्रांकन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है. आपने अनेक प्रकाशनों की बाल साहित्य की पुस्तकों का दृष्टांत का चित्रांकन बखूबी किया है.

(नोट : यह मेरा मौलिक लेख है, बिना अनुमति के इसके किसी भी अंश का प्रकाशन आपको कानूनी पचड़ों मे उलझा सकता है, यदि आप इसको प्रकाशित करना चाहते हों, तो जनता की आवाज की अनुमति प्राप्त कर लेखक के नाम के साथ प्रकाशित करें )

प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव

विश्लेषक, भाषाविद, वरिष्ठ गांधीवादी-समाजवादी चिंतक व पत्रकार

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