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योगी सरकार की ग्रामीण विद्युत व्यवस्था और किसानों की परेशानी

योगी सरकार की ग्रामीण विद्युत व्यवस्था और किसानों की परेशानी
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गांव हो या शहर बिजली हर एक नागरिक और ग्रामवासी की जीवन रेखा बन गई है। आधुनिक विकास पूरी तरह विद्युत व्यवस्था पर निर्भर है। प्रकाश से लेकर पंखे तक, और सिचाई से लेकर मड़ाई तक सब कुछ बिजली पर निर्भर है । जितने भी उपकरण है, सभी को चलाने के लिए बिजली की जरूरत होती है । केंद्र और उत्तर सरकार द्वारा हर गांव, हर खेत तक बिजली पहुच गई है। सुविधाओं और सहूलियत के अनुसार जब दोनों का मूल्यांकन करते हैं, दोनों में कोई अंतर नही दिखाई पड़ता है। जो सुविधाएं शहर में हैं, वही सुविधाएं गांव में भी उपलब्ध हैं । इस समय मैं कोरोना - पर्यावरण जागरूकता अभियान शहीद सम्मान सायकिल यात्रा पर हूँ। कानपुर नगर, कानपुर देहात, औरैया, इटावा, मैनपुरी, कन्नौज, फर्रूखाबाद और बदायूँ के सैकड़ों गावों में जाने और वहाँ के लोगों को जागरूक करने का अवसर प्राप्त हुआ । कोरोना और पर्यावरण पर चर्चा समाप्त होने के बाद गांव का आदमी अपनी तकलीफें और समस्याएं सुनाने लगता है, इन सभी गांव के किसानों ने बिजली व्यवस्था की सबसे अधिक शिकायतें की। साथ ही अपनी की अधिकांश रातें मैंने भी गांवों में ही बिताई। बरसात की गर्मी वैसे भी असहनीय होती है । कई गावों में तो रात भर बिजली नही। दिन भर सायकिल चलाने और छोटे छोटे जागरूकता कार्यक्रम करने की वजह से मैं बेहद थक जाता हूँ और लाख गर्मी होने के बावजूद चार से छः घंटे सो लेता हूं।

ग्रामीण क्षेत्रों में पहली समस्या यह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणा के अनुसार गांव में 18 घंटे बिजली आनी चाहिए । लेकिंन वह नही आ रही है। जो आती है, वह बार बार ट्रिप करती है। बार बार कटने की वजह से लोग परेशानी का अनुभव करते हैं

बिजली कभी भी कट जाती है , कभी भी आ जाती है, जिसकी वजह से ग्रामवासियों को बहुत परेशानी होती है। लेकिन इस सायकिल यात्रा के दौरान कई गावों में ठहरने पर मुझे इस बात का भी अनुभव हुआ कि दिन में भले ही बिजली नही आये, लेकिन रात में जब बिजली आ जाती है, तो जाती नही है। कन्नौज, मैनपुरी, इटावा, कानपुर देहात के किसानों ने बिजली व्यवस्था के संबंध में अखिलेश यादव सरकार की बिजली व्यवस्था की प्रशंसा की। लेकिन बदायूँ की कई तहसीलों के गावों का मैंने भ्रमण किया, यहां के लोगों ने अखिलेश यादव सरकार के समय की बिजली व्यवस्था की निंदा की। और इस समय जो बिजली आ रही है, उसकी प्रशंसा की । हालांकि इस कोरोना संकट काल मे बिजली बिल वसूलने पर बिजली विभाग विशेष ध्यान दे रहा है । एक तरह से इस समय बिजली चोरी रोकने का अभियान चलाया जा रहा है । हर दिन विजिलेंस विभाग छापे की कार्रवाई कर रहा है । कहीं कहीं इसमें राजनीति भी की जा रही है । ज्यादातर छापे विपक्षी दलों के नेताओं और उनके प्रतिष्ठानों पर डाले जा रहे हैं । लेकिन इसमें उतनी सच्चाई नही है, जितना दुष्प्रचार किया जा रहा है। इसके साथ ही बिजली बकायादारों की लिस्ट बनाकर वसूली अभियान चलाया जा रहा है। बदायूँ जिले के एक जिम्मेदार अधिकारी के अनुसार यहाँ 10 हजार से अधिक बकायादारों की सूची बना ली गई है । जिसका कुल मूल्य करीब तीस करोड़ है ।

इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने गावों की बिजली व्यवस्था को दो भागों में विभक्त कर दिया है। गांव में प्रकाश और अन्य उपयोग के लिए अलग फीडर बना दिया है। जिसमें केवल 2 फेस बिजली आती है। और नलकूपों आदि के लिए अलग फीडर और विद्युत व्यवस्था सप्लाई की अलग व्यवस्था की है । जिसमे तीन फेस बिजली आती है। जिससे केवल सिचाई की जा सकती है । अभी तक यह था कि गांव में एकल विद्युत व्यवस्था थी । जिसमें तीन फेस आते थे। जिससे गांव के अंदर प्रकाश भी होता था, और ट्यूवेल भी चलाया जाता था । लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इसे दो भागों में बांट दिया गया और नई व्यवस्था के अनुसार बिजली सप्लाई की जाने लगी।

इस यात्रा के दौरान किसानों ने बताया कि इस व्यवस्था से उन्हें दो तरश की परेशानी हो रही है। ट्यूवेल से सिचाई के लिए दिन में बिजली सप्लाई की जानी चाहिए, वह नही की जा रही है। दूसरा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 10 घंटे जो बिजली देने का निर्देश दिया है, उसका अनुपालन नही किया जा रहा है। मुश्किल से काट पीट कर 6 से 7 घंटे बिजली दी जा रही है। इस यात्रा के दौरान किसानों ने यह भी कहा कि अगर लगातार इतने घंटे बिजली दे दी जाती, तो ठीक रहता। लेकिन जैसे ही खेत तक पानी पहुचता है कि बिजली कट जाती है । फिर 25 मिनट बाद फिर बिजली आती है, तब तक नाली का पानी सूख जाता है । फिर से खेत पर पानी पहुचने में समय लगता है । इस प्रकार किसान को खेत की सिचाई करने में बड़ी परेशानी होती है । इस समय धान की फसल है, जिसे पानी की अधिक जरूरत पड़ती है । इस कारण किसान ज्यादा परेशानी महसूस कर रहा है ।

किसानों को दूसरा कष्ट यह है कि बिजली चाहे 6 घंटे आये, या 10 घंटे । खेत की सिचाई हो, या न हो, बिजली का बिल तो उतना ही देना ही पड़ेगा । इसके साथ साथ ट्यूवेल की बिजली रात को 2 या ढाई बजे आती है, उस समय किसान सोया रहता है, जिसकी वजह से बिजली आने के समय वह सोता रहता है। इसके अलावा गांव की बिजली व्यवस्था में तार जर्जर हो चुके हैं, इक्विपमेंट पुराने हो चुके हैं, जिसकी वजह से वे लोड नही ले पाते। जरा सा भी ज्यादा लोड होते ही बिजली कट जाती है । जिसकी वजह से बिजली कट जाती है।

जब इस संबंध में मैंने किसानों से पूछा कि इसका समाधान क्या हो सकता है, या आप लोग बिजली व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से क्या चाहते हो ? तब उन्होंने कहा कि ये जो पुराने तार और इक्विपमेंट है, उन्हें बदल दिया जाए। दस घंटे ही सही बिजली एक या दो टुकड़ों में दी जाए। दिन हो या रात, जब भी बिजली दी जाए, कब से कब तक दी जाएगी, इसकी घोषणा की जाए। जहां तक संभव हो, बिजली दिन में दी जाए। सिचाई के पीक समय पर इन घंटो में अगर बढ़ोत्तरी सम्भव हो, तो इसे 10 से बढ़ा कर 12 कर दी जाए। और जब पीक पॉइंट नही होता है, तो दो घंटे कम कर दी जाए ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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