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चलो रोको, दबाओ, बंद करो यह आवाज़ें चलो तोड़ो, काटो, जलाओ, यह हिम्मत, जो जीतने को झुझारू है

चलो रोको, दबाओ, बंद करो यह आवाज़ें चलो तोड़ो, काटो, जलाओ, यह हिम्मत, जो जीतने को झुझारू है
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2004 से लेकर 2020 तक लगभग बावन (66) पत्रकारों ने अपनी जान गवाई है….जिसमे 2014 से 2020 तक इन 54 पत्रकारों में से 46 पत्रकारों की हत्या हुई…..

पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत में पत्रकारिता और और मानव अधिकारों की सुरक्षा के लिहाज से सर्वाधिक खतरनाक देशों में सम्मिलित हो चुका है ।

प्रेस काउंसिल आफ इंडिया नामक एक अर्ध न्यायिक संस्था ने देश के 11 राज्यों दौरा करने के बाद श्रमजीवी पत्रकारों पर होने वाले हमलों पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, रिपोर्ट कहती है कि 1990 के बाद भारत में लगभग 80 पत्रकार मारे गए हैं और अधिकतर मामलों में शिवाय शक्ति मिल्स गैंग रेप के बाकी सारे मुकदमे आज भी अदालतों में लंबित है और कुछ मामलों में तो पुलिस ने अब तक आरोप पत्र दायर नहीं किया है ।

ऐसे हालात क्यों बने…..

लोकतंत्र अर्थात जो लोगो के द्वारा , लोगो के लिए बनाई गई व्यवस्था ही लोकतंत्र है ।

अब सवाल यह है कि क्या लोगों के द्वारा बनाई गई व्यवस्था में लोगो की सीधी भागीदारी है , क्या लोगो के द्वारा बनाई व्यवस्था में नीतिगत फ़ैसलो में सीधी भागीदारी है, क्या लोगो द्वारा बनाई व्यवस्था में बनने वाली कार्य योजनाओ में सीधी भागीदारी है?

जवाब होगा नही ऐसा इसलिए की आज तक लोकतंत्र के विषय मे जनता को समझाया ही यह गया है कि आप के द्वारा किये जाने वाला मताधिकार का प्रयोग मात्र ही लोकतंत्र है और यही लोकतंत्र को बलवान करने का एक मात्र तरीका पर सच्चाई इस हकीकत से इतर है, भिन्न है।

आप के मताधिकार से चुनी हुई सत्ता आने वाले मताधिकार उत्सव तक (अगले पाँच साल) आपका तर्पण कर देती है, पिंड दान कर देती है और अगले पांच साल सरकार द्वारा लिए गए ग़लत निर्णय को भी मनाने को बाध्य करती है और इन्ही ग़लत निर्णयों के खिलाफ जब लोकतंत्र में रहने वाले लोग अपने आप को निरीह महसूस करतें, असहाय महसूस करते है। जब उनकी आवाज़ो को कुचल दिया जाता है । तब ये पत्रकार , कलमकार ही इनकी आवाज बनते है ।

न्यायपालिका,विधाईका और कार्यपालिका निरंकुश होने लगते है या जब अपने कर्तब्ययो का निर्वाहन ठीक से नही करती है तब एक कलमकार ,पत्रकार अपने कलम के माध्यम से आवाज बुलंद करते है व इनके द्वारा लिए गए निर्णयों में खामियां बता ,गलत निर्णयों को सही करने को बाध्य करते है ।

बीते कुछ सालों में सरकारे असहनशील होगई पत्रकारों को सच लिखने से रोका जारहा है माहौल ऐसा तैयार किया गया की अगर सच लिखोगे तो मारे जाओगे या सलाखों के पीछे जाओगे।

सवाल यह उठता है की आखिर कुछ सालों में ही ऐसा क्या हुआ कि सरकारें और उनसे जुड़े लोग इतने असहनशील कैसे होगये?

2004 लोकसभा में चुने गए सासंद और 2019 लोकसभा में चुने गए सासंद की तुलना करें तो के2004 के मुकाबले 2019 में आपराधिक पृष्ठभूमि के सांसदों की संख्या में लगभग 82% बढ़ोत्तरी हुई है अब इनसे किस आदर्श की परिकल्पना कर सकते है ।

आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगो का सत्ता में भागीदारी का बढ़ाना यह प्रमाणित करता है कि इनके माध्यम भूमाफिया, खनिज माफिया के साथ- साथ राजनीति माफिया और प्रशासन माफिया को प्रश्रय दे रहे । कुछ सालों में राजनीति और प्रशासन माफिया की नई नश्ल पैदा हुई है और इन दोनों का जहरीला रिश्ता सवसे खतरनाक बनाती है और इनके निशाने में पत्रकार , कलमकार और ईमानदारी से अपने कार्य को करने वाले होते है और यहां तक कि इनको अपनी ईमानदारी की कीमत जान गवा कर चुकानी पड़ती है ।

2004 से लेकर 2020 तक लगभग बावन (66) पत्रकारों ने अपनी जान गवाई है….जिसमे 2014 से 2020 तक इन 54 पत्रकारों में से 46 पत्रकारों की हत्या हुई ।

1. विक्रम जोशी गाजियाबाद 22 जुलाई 2020

2. शुभम मणि त्रिपाठी उन्नाव उत्तरप्रदेश 19 जून 2020

3. सुनील तिवारी निवाणी मध्यप्रदेश जून 2020

4. मलयालम अखबार 'सिराज' के ब्यूरो प्रमुख के. मोहम्मद बशीर 4 अगस्त 2019

5. जोबनप्रीत सिंह मोगा पंजाब दिसम्बर 2019

6. प्रदीप मंडल मधुबनी बिहार 29 जुलाई 2020

7. अनुज गुप्ता(दिल्ली) हरिद्वार उत्तरप्रदेश 10 दिसम्बर 2019

8. आशीष महिपाल सहारनपुर उत्तरप्रदेश 16 अगस्त 2019

9. चक्रेश जैन शाहगढ़ सागर मध्यप्रदेश 20 जून 2019

10 राधेश्याम शर्मा कुशीनगर उत्तरप्रदेश अक्टूबर 2019,

11 के सत्यनारायण पूर्वी गोदावरी जिला आंध्रप्रदेश 16 अक्टूबर 2019

12. जिबरान नज़ीर (कश्मीरी पत्रकार) पुलवामा हमले के बाद मारा गया।

13. कुलदीप व्यास बूंदी कोटा राजस्थान 12 मार्च 2019

14. संदीप शर्मा मध्यप्रदेश 2018

15. शुजात बुखारी *राइजिंग कश्मीर श्रीनगर जम्मू कश्मीर14 June 2018

16. चंदन तिवारी ,चतरा झारखंड अक्टूबर 2018

17. अंजनी मौर्य बलरामपुर उत्तरप्रदेश 24फरवरी 2018

18. रामचंद्र केसारी विश्रामपुर पलामू झारखंड 17 मई 2018

19. नवीन निष्चल एव विजय सिंह दैनिक भास्कर भोजपुर(आरा) बिहार 25 मार्च 2018

20. अच्युतानंद (डी डी न्यूज़) कैमरा मैंने दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़ 2018

21. नित्यानंद पांडे (इंडिया अनबाउंड) ठाणे भिवंडी महाराष्ट्र 17 मार्च 2017

22. गौरी लंकेश (लंकेश पत्रिका)बेंगलुरु कर्नाटका 5 सितम्बर 2017

23. शांतनु भौमिक त्रिपुरा 21 सितंबर 2017

24. सुदीप दत्ता भौमिक (स्यन्दन पत्रिका) वनकार्ड बोधिजंग नगर त्रिपुरा 21 सितंबर 2017

25. श्याम शर्मा (इंदौर) मध्यप्रदेश15 मई 2017

26. ब्रजकिशोर ब्रजेश समस्तीपुर बिहार 3 जनवरी 2017

27. कमलेश जैन (पिपलीया) 2017 मध्यप्रदेश

28. के.जे.सिंह (मोहाली)2017 पंजाब

29. राजेश मिश्र (गाजीपुर)2017 उत्तरप्रदेश

30. नवीन गुप्ता (हिन्दुस्थान अखबार) कानपुर बिल्लौर उत्तरप्रदेश 30 नवम्बर 2017

31. शैलेंद्र मिश्र उर्फ़ मिंटू लखीमपुरखीरी उत्तरप्रदेश 17 जुलाई 2017

32. राजेश श्योराण एनसीआर कलियाणा 21 दिसंबर 2017

33. करुणा मिश्र (जनादेश टाइम ) सुलतानपुर उत्तरप्रदेश 13 फरवरी 2016

34. धर्मेंद्र सिंह रोहतास सासाराम बिहार 12 नवम्बर 2016

35. राजदेव रंजन (हिंदुस्तान टाइम)सिवान बिहार 13 मई 2016

36. किशोर दवे (जय हिंद)जूनागढ़ गुजरात 23 अगस्त 2016

37. तरण मिश्रा ,जन संदेश , 14 फरवरी 2016

38. इंद्रदेव यादव उर्फ अखिलेश प्रताप कि (देवरिया) झारखंड 16 मई 2016

39. संजय पाठक फरीदपुर उत्तरप्रदेश 13 अगस्त 2015

40. हेमन्त यादव चंदौली उत्तरप्रदेश 03 अक्टूबर2015।

41. अक्षय सिंह(झाबुआ मेघनगर मध्य्प्रदेश) व्यापाल घोटाले कवरेज के दौरान संदिग्ध परिस्थियों में मौत मई 2015।

42. राघवेंद्र दुबे मुम्बई महारष्ट्र 17 जुलाई 2015

43. संदीप कोठारी, फ्रीलांस,जबलपुर, मध्य प्रदेश, 21 जून 2015,

44. जगेन्द्र सिंह, फ्रीलांस, उत्तर प्रदेश, शाहजहांपुर, 8 जून 2015,

45. MVN शंकर, आंध्र प्रभा, आंध्र प्रदेश, भारत में 26 नवंबर 2014,

46. तरुण कुमार आचार्य, कनक टीवी, सम्बाद ओडिशा, 27 मई 2014,

47. साई रेड्डी, देशबंधु, बीजापुर जिले, भारत में 6 दिसम्बर 2013,

48. नेमीचन्द जैन तोंगपाल जगदलपुर छत्तीसगढ़ 12 फरवरी 2013

49. उमेश राजपूत गरियाबंद छत्तीसगढ़ जनवरी 2011

50. नरेंद्र दाबोलकर, साधना, पुणे, 20 अगस्त 2013,

51. राजेश वर्मा, आईबीएन 7, मुजफ्फरनगर, 7 सितंबर 2013,

52. राजेश मिश्रा, मीडिया राज, रीवा, मध्य प्रदेश, 1 मार्च 2012

53. द्विजमणि सिंह, प्रधानमंत्री समाचार, इम्फाल, 23 दिसम्बर 2012,

54. ज्योतिर्मय डे (मुम्बई)मी डे क्राइम रिपोर्टर 11/06/11 महाराष्ट्

55. विजय प्रताप सिंह, इंडियन एक्सप्रेस, इलाहाबाद, 20 जुलाई 2010,

56. हेमचन्द्र पांडे 07 जुलाई उत्तराखंड हल्द्वानी 2010

57. शुशील पाठक बिलासपुर छत्तीसगढ़ 20 दिसंबर 2010

58. विकास रंजन, हिंदुस्तान, रोसेरा, नवंबर 25, 2008

59. जावेद अहमद मीर, चैनल 9, श्रीनगर, 13 अगस्त 2008,

60. अशोक सोढ़ी, डेली एक्सेलसियर, सांबा, 11 मई 2008,

61. मोहम्मद मुसलिमुद्दीन, असोमिया प्रतिदिन, बारपुखरी, 1 अप्रैल, 2008

62. प्रमोद कुमार मुन्ना देवघर झारखंड दिसंबर 2007

63. ,प्रहलाद गोआला, असोमिया खबर, गोलाघाट, 6 जनवरी 2006

64. ननली मिश्रा झारखंड टुडे एडिटर रांची झारखंड अप्रेल 2006

65. आसिया जीलानी, स्वतंत्र, कश्मीर, भारत में 20 अप्रैल 2004,

66. वीरबोइना यादगिरी, आंध्र प्रभा, मेडक, भारत में 21 फ़रवरी 2004,

भारत के लगभग सभी राज्यो में पत्रकारों की हत्या हुई और ये हत्याए इसलिए कर दी गई क्योंकी ताकतवर नौकरशाहों, राजनीतिगियो, खनिज माफियो व माफियो के कुकृत्यों को सामने लाने का काम किया था ।

कुछ ऐसे अखबार इन ताकतवर लोगों के प्रच्छन्न हितों के खिलाफ लिखा उन पर प्रायोजित हमले करवाए गए उनकी हत्या करवाई गई।

केंद्र/ राज्य सरकार आने वाले दिनों संसद / विधानसभा में पत्रकारों के लिये पत्रकार सुरक्षा आयोग का गठन करे, आयोग को संवैधानिक अधिकार हो जो भारत में ऐसे हालात कायम करें जहां पत्रकार बिना डर या उत्पीड़न या उत्पीड़न की आशंका से मुक्त होकर यात्रा कर सकें,अपना काम कर सकें ।

भारत में ऐसा कानून बनाकर लागू करें जो पत्रकारों को मनमर्जी गिरफ्तारी और शारीरक हिंसा से बचाया जा सके ।

राकेश प्रताप सिंह परिहार

लेखक- अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति (भारत) के राष्ट्रीय संगठन महासचिव हैं व् सम्पूर्ण भारत में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने के लिए संघर्षरत हैं।

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