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लगातार हत्याओं से सहमा ब्राह्मण समाज - कृष्ण सुदामा प्रसंग का पुन: आगाज

लगातार हत्याओं से सहमा ब्राह्मण समाज - कृष्ण सुदामा प्रसंग का पुन: आगाज
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उत्तर प्रदेश की सियासत में ब्राह्मण समाज सदा से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है। वह किसी दल के प्रचार में भले ही प्रत्यक्ष रूप से प्रचार न करता हो, लेकिन लगातार व्यक्तिगत और सामूहिक चर्चाओं से एक माहौल बना देता है। यानि देश या उत्तर प्रदेश में चुनाव के समय जो हवा बनती है, उसे बनाने का श्रेय ब्राह्मण समाज को ही जाता है। इसी कारण चाहे जिसकी सरकार बने, उसे बनवाने में एक बड़ा रोल निभाता है। अपनी समाजवादी सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उनको खूब सम्मान दिया। मंत्रिमंडल में भी यथेष्ट जगह दी। जो भी उन्होने कहा, उसे किया। सदा ही उनका सम्मान किया। लेकिन इसके बावजूद भी उत्तर प्रदेश के ब्राह्मणों को ऐसा लगा की भाजपा में उसे और सम्मान और अधिकार मिलेगा । जबकि चुनाव के पहले अपने प्रति अखिलेश के सकारात्मक व्यवहार रवैया और व्यवहार के कारण तमाम ब्राह्मण नेता यह कह रहे थे कि केंद्र में मोदी और उत्तर प्रदेश में अखिलेश की सरकार होगी। लेकिन मोदी के प्रति उनका प्रेम भारी पड़ गया । जिसके कारण ब्राह्मणों ने ही अखिलेश यादव को सत्ता से हटाने के लिये माहौल बनाना शुरू कर दिया । जिसका परिणाम भी उनके पक्ष में आया। जाति से ऊपर उठ कर विकास की गंगा बहाने वाले अखिलेश को जनता ने नकार दिया और उत्तर प्रदेश में भाजपा सत्तासीन हो गई । लेकिन जल्द ही इस सरकार से उनका मोहभंग होने लगा। हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ब्राह्मणों को खूब सम्मान देना शुरू किया। इस वजह से उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणो और क्षत्रियों की युति बनी । जनता की सरोकार वाली पोस्टों पर उनकी संख्या से यह बात प्रमाणित भी होने लगी। लेकिन यह कहना आंशिक रूप से ही सत्य प्रतीत होता है। क्योंकि शिक्षा के प्रति जागरूक ब्राह्मण अपनी मेहनत, मेधा और सहयोग के बल पर नौकरियों में उनकी संख्या पर्याप्त है । अपनी अधिक संख्या और वाकपटुता के कारण वे बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के जनता से सरोकार होने वाले पदों पर काबिज हो जाते हैं। इसलिए भी वे लोगों की आँखों की किरकिरी बन जाते हैं ।

इधर कानपुर के बिकरू गाँव कांड के बाद मीडिया और सरकार ने ऐसा परिदृश्य उपस्थित किया, जैसे उत्तर प्रदेश की जरायम दुनियाँ के बादशाह भी ब्राह्मण है और इसके लिए उन्हें राजनेताओं से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों का प्रश्रय मिल रहा है । हालांकि इसे इतनी आसानी से झुठलाया भी नहीं जा सकता है । विकास दुबे के मददगार के रूप में जिन लोगों के नाम आए, वे सभी ब्राह्मण ही थे। इसके साथ उसके सहयोगी के रूप में जिन लोगों के नाम घोषित किए गए, उसमें से 90 प्रतिशत ब्राह्मण समुदाय के ही लोग हैं । जिसमें से कुछ का एनकाउंटर हो गया, कुछ को पकड़ लिया गया और कुछ की धरपकड़ के लिए प्रयास किए जा रहे हैं ।

यह तो एक पक्ष है । अब हम दूसरे पक्ष की भी बात कर लेते हैं । जबसे उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आई, तबसे ब्राह्मणों के ऊपर अत्याचार भी खूब हुए। उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में उन्हें खूब सताया गया । उनकी हत्याए की गई। इतना ही नहीं, कई बार तो उनका समूहिक नर-संहार भी किया गया ।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में ब्राह्मणो के साथ पहली हृदय विदारक घटना 26 जून 2017 को हुई । जिसमें रायबरेली के ऊंचाहार में पड़ने वाला अपटा गाँव में एक ब्राह्मण परिवार के 5 सदस्य जिंदा जला दिए गए। इस घटना को लेकर भाजपा की खूब किरकिरी हुई। भाजपा के बैकवर्ड और सवर्ण नेता आमने सामने हो गए। एक दूसरे पर खूब घात-प्रतिघात के आरोप लगाए गए । कई महीनों तक इस घटना का धुआँ रिसता रहा। लेकिन इस घटना के बाद भी ब्राह्मणों की आस्था भाजपा में बनी रही। अभी रायबरेली के ऊंचाहार की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि 2 जुलाई, 2017 को फतेहपुर जिले की खागा कोतवाली के भखन्ने गांव में रहने वाले शिक्षक बालकृष्ण तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। हालांकि इसमें योगी सरकार ने कड़ी कार्रवाई किया। जिससे ब्राह्मण समुदाय संतुष्ट हो गया। इस कार्रवाई का यह प्रभाव पड़ा कि लगभग दो महीने ब्राह्मणों के खिलाफ कोई बड़ा अपराध नहीं हुआ । लेकिन इसी बीच 9 अक्टूबर, 2019 को बस्ती में आदित्य नारायण तिवारी की हत्या कर दी गई । और फिर 12 अक्टूबर, 2019 को झांसी में पंडित जगदीश को परिवार समेत जिंदा जला दिया गया जिसमें श्रीमती कुमुद, श्रीमती रजनी ,मुस्कान समेत पूरा परिवार मारा गया । इस हत्या के बाद पूरा उत्तर प्रदेश सिहर गया। उनके चिता की आग अभी ठंडी ही नहीं हुई थी कि 14 अक्टूबर, 2019 को झांसी जिले स्थित पीपरी बाजार के पास उदेनिया में एक ब्राह्मण परिवार के 4 लोगों की रहस्यमयी तरीके से हत्या कर दी गयी। इस घटना के बाद तो लोग काफी भयभीत हो गए । उसके ठीक दो दिन बाद 16 अक्टूबर, 2019 को मैनपुरी में छात्रावास में एक ब्राह्मण छात्रा की हत्या कर दी गई। जिसे लेकर भी खूब हो हल्ला मचा । उसके दूसरे दिन ही 17 अक्टूबर, 2019 को बस्ती जिले में स्थित एपीएन कॉलेज के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कबीर तिवारी की गोली मार कर हत्या कर दी गयी। जिससे छात्र राजनीति में उबाल आया। लेकिन अभी वह शांत भी नहीं हुआ कि उसके ठीक दूसरे दिन 18 अक्टूबर, 2019

लखनऊ में कमलेश तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। कमलेश तिवारी का संबंध एक हिंदुवादी संगठन से होने के कारण पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उनके हत्यारों को दूसरे प्रदेश से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया । इधर कमलेश तिवारी की हत्या पर पुलिस कार्रवाई कर ही रही थी कि कि 19 अक्टूबर, 2019 को मेरठ में अधिवक्ता मुकेश शर्मा की हत्या हो गई। जिस पर अधिवक्ताओं ने खूब हो – हल्ला किया। मुजरिम की गिरफ्तारी भी हुई । तब जाकर वकीलों का आक्रोश शांत हुआ । लेकिन अभी दस दिन भी नहीं बीते कि 28 अक्टूबर, 2019 को कन्नौज में अमन मिश्रा की हत्या कि हत्या हो गई । इसी दिन यानि 28 अक्टूबर, 2019 को ही दूसरी ओर अमेठी में सत्यप्रकाश शुक्ला की हत्या कर दी गई । इसके ठीक दूसरे दिन 29, अक्टूबर 2019 को लखीमपुर में पत्रकार रमेश मिश्रा की निर्मम हत्या हो गई । इन लगातार हो रही हत्याओं के बाद ब्राह्मण समाज भयभीत हो गया । अपनी सुरक्षा को लेकर ब्राह्मण समाज में चर्चाएं होने लगी । अभी यह चर्चा ठंडी ही नहीं पड़ी कि 17 नवम्बर 2019 को गोरखपुर में आनंद स्वरूप मिश्रा की हत्या की हत्या हो गई और फिर करीब एक महीना ही शांति से बीता होगा कि 31 दिसम्बर, 2019 को शामली में भजन गायक अजय पाठक के पूरे परिवार की धारदार हथियार से गला रेत कर हत्या कर दी गई । जिससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश का ब्राह्मण समुदाय सहम गया । 4 जनवरी, 2020 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के सोरांव क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले युसुफपुर सेवायत क्षेत्र में सोमदत्त तिवारी उनकी पत्नी समेत परिवार के कुल 5 सदस्यों की हत्या कर दी गयी। जिस पर राजनीतिक दलों ने ज्ञापन आदि दिया और अधिकारियों ने मुजरिमों को गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया । इसके बाद 7 जनवरी, 2020 को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शिशिर त्रिपाठी की हत्या कर दी गई । इस पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की । ब्राह्मण समुदाय ने आपण आक्रोश व्यक्त किया । इसके बाद कुछ दिन शांति रही । लेकिन फिर 25 अप्रैल, 2020 को एटा जिले के पूर्व स्वास्थ्यकर्मी राजेश्वर प्रसाद पचौरी के घर के 5 सदस्यों की हत्या की हत्या कर दी गई । इसके बाद 7 मई, 2020 को मेरठ में अनुज शर्मा की हत्या हो गई । एक सप्ताह बाद 14 मई, 2020 को आगरा में सतीश शर्मा की हत्या की हत्या कर दी गई । उसके ठीक तीन दिन बाद 17 मई, 2020 को प्रयागराज में संजय शुक्ला की हत्या की हत्या कर दी और उसके ठीक दूसरे ही दिन 18 मई, 2020 को अमेठी में प्रमोद मिश्र जो किसान यूनियन के नेता नेता थे, उनकी हत्या कर दी गई । 20 मई, 2020 को रामपुर में अनुराग शर्मा की हत्या हो गई । एक दिन बाद ही 22 मई, 2020 को मेरठ परतापुर में हिमांशु शर्मा की हत्या कर दी गई । 26 मई, 2020 को मुरादनगर के दुहाई में बीबीए छात्र मुदित शर्मा की हत्या कर दी गई । एक सप्ताह तक तक ही शांति रह पाई कि 6 जून, 2020 को शाहजहांपुर में इलाज न मिलने से रामनाथ द्विवेदी की मौत की मौत हो गई। उसके एक दिन बाद 8 जून, 2020 को प्रयागराज के मौहरिया में पंडित महेश दत्त तिवारी की हत्या हो गई । 19 जून, 2020 को उन्नाव पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी की दिन में सरेआम गोली मारकर हत्या से स्थानीय लोग भयभीत हो गए । 29 जून, 2020 को मैनपुरी के एलाउ थाना में सौरभ मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई । 2 जुलाई, 2020 को प्रयागराज के विमलेश पांडे सहित पूरे परिवार के सभी 6 सदस्यों की समूहिक हत्या कर दी गई । अपराधियों ने बच्चों को भी नहीं बख्शा। जिसकी वजह से प्रयागराज के इस इलाके में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई । 7 जुलाई, 2020 को सुल्तानपुर में सपा नेता विजय शुक्ला की हत्या हो गई । 12 जुलाई को फिर दो ब्राह्मणों की राजधानी में हत्या हो गई । अधिवक्ता सुरेन्द्र मिश्रा और पत्रकार अमृतेश दुबे की गोली मार कर हत्या कर दी गई।

इस तरह से जब से उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आई। योगी आदित्यनाथ ने अपराध रोकने और अपराधियों पर नकेल कसने के लिए बड़े-बड़े दावे किए। लेकिन इसके बावजूद भी उत्तर प्रदेश में लगातार अपराध होते रहे । लगातार लोगों की हत्याए होती रही। उत्तर प्रदेश में इस तरह लगातार ब्राह्मणों की हत्या कभी नहीं हुई। इससे पूरा ब्राह्मण समुदाय सहम गया और एक बार फिर उसके मन में भाजपा की योगी सरकार के प्रति आक्रोश भर गया। उसे फिर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव याद आने लगे। उसकी पार्टी के नेता याद आने लगे और उन्हे फोन करके वह श्रीकृष्ण सुदामा की दोस्ती की याद दिलाने लगा। इस प्रकार के विचार सोशल मीडिया पर भी वायरल होने लगे । यानि ब्राह्मण अभी से अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतन करने लगा और ऐसी सरकार की कल्पना करने लगा, जो उसे सुरक्षा प्रदान कर सके। अभी उत्तर प्रदेश में चुनाव होने में करीब डेढ़ साल बचे हुए हैं । कौन किसके साथ खड़ा होगा, यह कहा नहीं जा सकता । लेकिन अगर ऊपर की हत्याओं पर विचार करें और ब्राह्मण समुदाय के विचारों को सुने तो यह सुनिश्चित जान पड़ रहा है कि उनका भाजपा से मोहभंग हो गया है ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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