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भारतीय क्रिकेट के दादा! दादा बोले तो बाबू मोशाय

भारतीय क्रिकेट के दादा! दादा बोले तो बाबू मोशाय
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सन 2006, भारत वेस्टइंडीज टेस्ट सीरीज का मैच एंटीगुआ में खेला जा रहा था। भारत के कप्तान थे राहुल द्रविड़। भारत की बैटिंग थी, मोहम्मद कैफ और महेंद्र सिंह धोनी खेल रहे थे। 69 रन पर खेलते धोनी से छक्का मारा जिसे फील्डर ने बाउंड्री पर पकड़ लिया। अंपायर ने थर्ड अंपायर से बात की और छक्का का निर्णय दिया। तबतक वेस्टइंडीज के कप्तान ब्रायन लारा आगे आये और धोनी को चले जाने के लिए कहा। धोनी तब नए थे, फिर भी धोनी थे। वे खड़े रहे। लारा कह रहे थे कि मेरे फील्डर ने कहा है कि कैच पकड़ लिया है तो पकड़ लिया है...

लारा ने जो किया वह भरतीय टीम का अपमान था। धोनी नए थे, लारा से अधिक नहीं उलझे और पैवेलियन की ओर चल दिये।

उन दिनों हमलोग रेडियो पर क्रिकेट कमेंट्री सुनते थे। तब कमेंट्री सुन रहे सारे लड़कों ने एक सुर में ब्रायन लारा के तेईस पुश्तों को तारते हुए कहा, " जा साले! आज ददवा होता तो बताता कि उसके खिलाड़ी से जबरदस्ती करने का मतलब क्या होता है..."

ये थे भारतीय क्रिकेट के दादा! दादा बोले तो बाबू मोशाय सौरभ गांगुली। दादा हमें अपने लम्बे लम्बे छक्कों के लिए तो प्रिय थे ही, पर अपनी लंठई के अधिक प्रिय थे। श्रीलंकाई कालू-बितरना से अपने जूते का फीता बंधवाते समय तिरछी मुस्कान छोड़ते दादा, विश्व चैम्पियन स्टीव वा को पिच पर लम्बा इंतजार करा कर मुस्कुराते हुए फील्ड में उतरते दादा, वेस्टइंडीज के रामनरेश सरवन को मजाक में छेड़ते रहने वाले दादा, दब्बू छवि वाली भारतीय टीम को मुंहफट बनाने वाला दादा, विकेट लेने के बाद पागलों की तरह कुछ ज्यादा ही उछलने वाले दादा...और लॉर्ड्स में टीशर्ट लहराने वाले दादा... दादा के ये सारे रूप उन्हें हीरो बनाते थे।

यह दादा की दादागिरी ही थी कि उनकी कप्तानी में खेलते चार दिन के लौंडे पार्थिव पटेल ने स्टीव वा के अंतिम टेस्ट में उन्हें छेड़ दिया। गुस्साए स्टीव ने पार्थिव से कहा, " औकात में रहो! जितनी तुम्हारी उम्र है, उससे अधिक दिनों से क्रिकेट खेल रहा हूँ मैं।" तब दादा ने मुस्कुरा कर कहा, "छोड़ो यार, बच्चा है। जो कह रहा है, मान ही क्यों नहीं जाते..."

इन सबके बीच दादा के कुछ और भी रूप थे, जो बताते थे कि यह ठीक हमारी तरह एक सामान्य सा लड़का है। विशुद्ध घरेलू... जैसे मैच फँसने पर नाखून चबाने वाले दादा, गले में लटकी दस पन्द्रह मालाओं को बार बार चूम कर मन्नत मांगने वाले दादा... बॉल छूटने पर आँख मिचमिचा कर बहाना मारते दादा...

भारत के बहुत सारे क्रिकेटरों की प्रेम कहानियां चर्चित रही हैं। कपिल देव, अजरुद्दीन, विराट कोहली... ये सब अपनी प्रेमिकाओं को दिखा कर छक्का मारते थे। विराट तो अनुष्का के लिए बैट पर फ्लाइंग के सरकाते दिखे हैं। दादा इन सब से अलग थे। उनकी कथित प्रेयसी नगमा जी स्टेडियम में दिखी नहीं कि दादा बोल्ड... तब हम जैसे दादा के प्रशंसक नगमा को खूब गालियां देते थे। जाने क्या मामला था...

भारत में एक सीरीज जीतने के बाद ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पोंटिंग ने तात्कालिक BCCI अध्यक्ष शरद पवार को धक्का दे कर पीछे कर दिया था। तब भी दादा की याद आई थी, कि काश दादा अध्यक्ष होते... आज दादा सचमुच अध्यक्ष हैं। और आज इतना तो तय है कि ऑस्ट्रेलिया के कप्तान क्या, ऑस्ट्रेलिया का प्रधानमंत्री भी उसे धक्का नहीं दे सकता। ददवा मार के मुँह फाड़ देगा। बिकॉज ददवा इज दद्दा...

हैप्पी बड्डे दादा! लभ यू💝

सर्वेश तिवारी श्रीमुख

गोपालगंज, बिहार

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