Janta Ki Awaz
लेख

उत्तर प्रदेश में जरायम की संरक्षित नई दुनिया

उत्तर प्रदेश में जरायम की संरक्षित नई दुनिया
X


उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के जिले में कानपुर देहात के बिकरू गाँव में घटी घटना से पूरा देश स्तब्ध है । हर कोई इसकी अपने-अपने हिसाब से व्याख्या कर रहा है। इस घटना से एक बात तो तय हो गई है कि जिस पुलिस के बारे में यह कहा जाता था कि वे हर प्रकार का भ्रष्टाचार कर सकते हैं, लेकिन जब उनके विभागीय जवानों पर आती है, तब वे खूंखार हो जाते हैं, और बड़े से बड़े बदमाशों को भी नेस्तनाबूत कर देते हैं । लेकिन इस घटना में एसटीएफ की तफ़शीश से जो खुलासा हुआ है, वह काफी चौकाने वाला है ।

यह बात सही है कि इस धरती पर जन्म लेने वाला कोई भी मनुष्य जन्मजात अपराधी नहीं होता है। उसे अपराधी यहाँ का सिस्टम बनाता है । ऐसा ही कुछ विकास दुबे के बारे में भी कहा जा सकता है। आज जिस स्थिति को विकास दुबे ने अंजाम दिया है, उसके पीछे पुलिस और राजनेताओं द्वारा उसे दी गई शह ही दिखाई पड़ती है। आज कल जो दिखाई दे रहा है कि हर युवा राजनीति करना चाहता है, या वह जो कर रहा होता है, उसके लिए राजनीतिक संरक्षण प्राप्त करना चाहता है। इस कारण अपने गाँव से लखनऊ और दिल्ली उसके चक्कर लगते रहते हैं। राजनेताओं को भी ऐसे ही लोगों की जरूरत होती है, जो दबंग हो, और उनके लिए किसी भी हद तक त्याग करने को तैयार हो। विकास दुबे के साथ भी ऐसा था। वह शुरू से ही दबंग था, शरीर से भी मजबूत होने के कारण बाहुबल में भी किसी से कम नहीं था। ब्राह्मण खानदान में जन्म लेने की वजह से वकपटुता उसे जन्मजात मिली हुई थी। इस कारण किसी नेता के यहाँ अपनी पैठ बनाना उसके लिए बड़ा आसान होता था ।

इधर धीरे धीरे पुलिस विभाग में भी एक परिवर्तन दिखाई देने लगा। ट्रांसफर, पोस्टिंग और प्रमोशन को लेकर कई पुलिस के जवान और अधिकारी राजनेताओं की चौखटों पर मत्था टेकने लगे। बड़े नेताओं और मंत्रियों के पास उनकी पैठ कैसे बने, इसके लिए प्रयास करने लगे। उनकी इसी प्रवृत्ति का फायदा विकास दुबे ने उठाया । अपने क्षेत्र के ऐसे पुलिस अधिकारियों और जवानों से उसने संपर्क साधा और राजनेताओं से मिलाने, उनकी मनमाफिक जगह उनका ट्रांसफर और पोस्टिंग कराने के साथ-साथ उनका प्रमोशन भी करवाने लगा। जब कभी किसी बड़े अधिकारी ने उसके करीबी पुलिस जवानो और अधिकारियों पर किसी ने कार्रवाई करने का प्रयास किया, तो विकास दुबे ने उसके ऊपर ही कार्रवाई करवा दिया । इससे उसकी धाक जमती गई । पुलिस और राजनेताओं के साथ अपने इन्हीं सम्बन्धों के बल पर वह अपराध की दुनियाँ में रोज नया इतिहास रचता गया। वह कितना बेखौफ है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि 2001 मे उसने थाने के अंदर एक दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री को गोली मार कर हत्या कर दी और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ ।

आइये ! थोड़ा सा उस घटना क्रम पर अपनी नजर डाल लेते हैं, जो कानपुर देहात के बिकरू गाँव में घटित हुआ। उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर के अनुसार उत्तर प्रदेश में कानपुर देहात जिले के बिकरू गांव में मध्य रात्रि हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर बदमाशों की अंधाधुंध फायरिंग से डीएसपी बिल्हौर समेत आठ पुलिसकर्मियों की जान चली गई। इस प्रकरण में चौबेपुर थानाध्यक्ष ने तीन जुलाई को अपराधी विकास दुबे समेत 21 नामजद व 60-70 अज्ञात पर केस दर्ज कराया। उसके अनुसार तीन हिस्सों में बंटी पुलिस टीम के पहुंचते ही तीन तरफ से गोलियों की बौछार होने लगी। विकास अपने घर की छत पर खड़ा पुलिसवालों को ललकार रहा था। यह हमला ऐसा था कि मानों आतंकियों ने हमला किया हो।

एफआईआर के अनुसार चौबेपुर थानाध्यक्ष विनय कुमार तिवारी रात 12:27 बजे अपनी टीम के साथ हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए रवाना हुए। टीम में पांच दरोगा, दो हेड कांस्टेबल, सात कांस्टेबल और जीप चालक शामिल था। बेला क्रासिंग पर डीएसपी बिल्हौर देवेंद्र मिश्र तीन सिपाहियों के साथ खड़े थे। थानाध्यक्ष बिठूर कौशलेंद्र प्रताप सिंह, दो दरोगा, सात कांस्टेबल व एक जीप चालक और थानाध्यक्ष शिवराजपुर महेश यादव, एक दरोगा, एक हेड कांस्टेबल, दो कांस्टेबल भी पहुंच चुके थे। यहां पर दबिश प्लानिंग करने के बाद सभी बिकरु गांव की तरफ रवाना हुए।

डीएसपी देवेंद्र कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम तीन हिस्सों बंटेगी। पहले दल का नेतृत्व खुद डीएसपी करेंगे। जिसमें थानाध्यक्ष शिवराजपुर महेश यादव व अन्य शामिल होंगे। रात के समय दबिश देने कारण सभी के पास ड्रैगन लाइट थी। द्विवेदी आटा चक्की से टीम बिकरु गांव के अंदर जाने वाले मार्ग पर बढ़ी तो सड़क पर जेसीबी खड़ी दिखी। जेसीबी के पास से गुजरते हुए योजना के अनुसार डीएसपी की टीम विकास दुबे के घर के मुख्य गेट पर रुकी। बायीं दिशा पूरब की ओर दूसरा दल एसओ बिठूर के नेतृत्व में आगे बढ़ा और दाहिनी ओर से दक्षिण दिशा की ओर तीसरा दल चौबेपुर थानाध्यक्ष विनय कुमार तिवारी की अगुवाई में बढ़ा। अचानक विकास दुबे छत से अपने गुर्गों के साथ पुलिस पर ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगा। जोर जोर से चिल्लाने लगा कि पुलिस वालों तुम्हारी यहां दबिश देने की हिम्मत कैसे हो गई? आज कोई बचकर नहीं जाएगा।

विकास दुबे के घर के सामने राजाराम उर्फ प्रेम कुमार पांडेय की छत से भी प्रेमकुमार और उसके साथी श्यामू बाजपेयी, छोटू शुक्ला, जेसीबी चालक मोनू, जहान यादव और विकास दुबे के घर के पश्चिम की तरफ स्थित अतुल के मकान की छत से अतुल दुबे, दयाशंकर अग्निहोत्री, शशिकांत पांडेय, विष्णु पाल यादव, राम सिंह, रामू वाजपेयी अपने अन्य साथियों के साथ घात लगाकर फायरिंग कर रहे थे। तीनों दिशाओं से गोलियों की एक साथ की गई अंधाधुंध फायरिंग से पहली व दूसरी टीम के अधिकांश सदस्य गंभीर रुप से घायल हो गए। घायल पुलिसकर्मियों से कुछ ने आड़ व पोजिशन लेने के लिए राजाराम पांडेय के घर की दिशा में बढ़े और कुछ लोग पप्पू मिश्रा की खाली जमीन की ओर बढ़ ही रहे थे कि बदमाश छतों से उतरकर घायल पुलिसकर्मियों पर फायर करना शुरू कर दिया। इस बीच अतुल मिश्रा की छत से गोलियों की बौछार हो रही थी। इसलिए एसओ विनय तिवारी की टीम आगे बढ़ नहीं सकी। वे अपनी जगह से बदमाशों पर फायर कर रहे थे।

पप्पू मिश्रा के खाली स्थान पर बने शौचालय के पास दरोगा अनूप कुमार सिंह, कांस्टेबल जितेंद्र पाल, बबलू कुमार, राहुल कुमार, सुल्तान सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। वहीं, डीएसपी देवेंद्र को विकास दुबे, प्रेम कुमार पांडेय, अमर दुबे, प्रभात मिश्रा, गोपाल सैनी, हीरू दुबे, बउवन शुक्ला, शिवम दुबे, बालगोविंद, बऊवा दुबे व अन्य ने घसीटकर प्रेम कुमार पांडेय के घर के अंदर ले जाकर गोलियों व धारदार हथियार से हत्या कर दी। इस दौरान एसओ बिठूर कौशलेंद्र सिंह समेत सात पुलिसकर्मी घायल हो गए। बदमाश एसओ कौशलेंद्र की हत्या करने की फिराक में थे। लेकिन पुलिस पार्टी द्वारा कवर किए जाने के कारण उन्हें घायलावस्था में छोड़कर फरार हो गए। इस दौरान बदमाश पिस्टल, कारतूस, इंसास रायफल भी लूट ले गए। इस घटना में 60 से 70 अज्ञात लोग भी शामिल थे। इस दौरान पुलिस की तरफ से 52 राउंड फायरिंग की गई।

लेकिन एफआईआर लिखाने वाले एसओ चौबेपुर को उनकी संदिग्ध कार्यप्रणाली के चलते सस्पेंड कर दिया गया है। एफआईआर के अनुसार जब टीम विकास दुबे के घर पहुंची तो मौके पर बिजली की पर्याप्त रोशनी थी। लेकिन अब एसटीएफ की जांच में सामने आया है कि, पुलिस के पहुंचने से पहले बिकरु गांव की लाइट सब स्टेशन से कटवा दी गई थी। वहीं, यह भी लिखाया गया है कि, मृत पुलिसकर्मियों के शव इधर-उधर पड़े थे। लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के बयान से भी इसमें विरोधाभास देखने को मिला। विकास दुबे के गुर्गों ने मृत पुलिसकर्मियों के शवों का ढेर लगा दिया था। वह उन्हें जलाना चाहता था।

यह स्थिति अकेले विकास दुबे की नहीं है। बल्कि उत्तर प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में जहां ऐसे युवा अपराध की दुनिया में आ रहे हैं, सबकी कहानी एक जैसी है। उसके क्लाइमेक्स में थोड़ा फेरबदल हो सकता है । लेकिन सभी बदमाश को एक ओर जहां राजनेताओं का खुला संरक्षण प्राप्त होता है, वहीं पुलिस भी उसके द्वारा किए गए जघन्य से जघन्य अपराध की ओर से अपनी आँख मूँद लेती है । दरअसल पुलिस, राजनेता और बदमाश ऐसी तिकड़ी है, जो एक साथ जुड़ जाये, तो अपने-अपने क्षेत्रों में काफी तीव्र गति से प्रगति कर सकते हैं। पुलिस और बदमाशों के साथ होने से राजनेता के लिए राजनीति करना, चुनाव जीतना और अपने विरोधियों को ठिकाने लगाना बहुत ही आसान हो जाता है। इस कारण हर युवा राजनीति में कदम रखते ही एक ओर बड़े से बड़े राजनेताओं से अपना संबंध बनाता है, दूसरा पुलिस वालों से संबंध बना कर उन्हें एक हिस्सा देकर बेखौफ होकर अपने कार्यों को अंजाम देता है, और कुछ ही दिनों में एक प्रसिद्ध नेता के रूप में शुमार हो जाता है। यही स्थिति पुलिस वालों की है। जिन पुलिस वालों की नज़दीकियाँ ऐसे बदमाशों से होती है, जिनकी हर एक बात राजनेता, मंत्री, विधायक मानने को तुरंत राजी हो जाते हैं, उनसे संबंध बना कर एक ओर खूब पैसे कमाता है। और दूसरी ओर उसी बदमाश के इशारे पर उसके विरोधी बदमाशों को निपटा कर प्रमोशन भी जल्दी – जल्दी पा जाता है। और कुछ ही दिनों में ऐसे उच्च स्थान पर पहुँच कर उस बदमाश को संरक्षण देने लगता है । यही हाल बदमाशों का भी है। बिना पुलिस और राजनेता के संरक्षण के कोई भी बदमाशी की कल्पना नहीं कर सकता है। इस कारण जरायम की दुनिया में उतरने वाले बदमाशों के लिए यह जरूरी होता है कि वह पुलिस और नेताओं के साथ मधुर संबंध स्थापित करें । किसी राजनीतिक दल का सदस्य होने के बाद उन्हें खादी का कुर्ता पायजामा पहनने का लाइसेन्स प्राप्त हो जाता है। और दुनियाँ के नजरों में सफ़ेदपोश बन जाते हैं। उनके क्षेत्र का ऐसा कोई नहीं है, जो उनके द्वारा की गई कारगुजारियों को जानता न हो, लेकिन उसके तांडव को देखने के बाद उसके खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने या उसकी खिलाफत करने की कोई हिम्मत नहीं कर पाता है। इस प्रकार पुलिस और रानेताओं द्वारा संरक्षण देने की वजह से जरायम की दुनिया चलती रहती है ।

आज जब पुलिस वालों पर बन आई है, आज जब राजनेताओं पर बन आई है, ऐसे में इन्हें आत्मचिंतन करने की जरूरत है। नहीं तो आने वाले समय में सिर्फ जनता के साथ ही अन्याय नहीं होगा, अपितु राजनेताओं और पुलिस वालों के साथ वैसा ही जघन्य अपराध होगा, जैसा कानपुर के बिकरू गाँव में हुआ ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

Next Story
Share it